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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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मैं जल हूं : सुनिए पानी के आंसुओं की कहानी

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Importance of water: 5 जून को पर्यावरण दिवस है। धरती सहित संपूर्ण ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है। ये पांच तत्व है- आकाश, वायु, अग्नि, जल और धरती। इसमें जल तत्व का महत्व खास है क्योंकि धरती पर 70 प्रतिशत समुद्र का विस्तार है, लेकिन उसका पानी पीने लायक नहीं है। 30 प्रतिशत जल धरती के भीतर, नदी, तालाब, सरोवर या हवा में मौजूद है। उसमें भी अधिकतर जल प्रदूषित। यानी की पीने लायक जल बहुत कम ही बचा है। जल है तो जीवन है।
 
 
क्या है जल (Jal tatva) : 
जल से ही जड़ जगत और जीवन की उत्पत्ति हुई है। हमारे शरीर में और धरती पर लगभग 70 प्रतिशत जल विद्यमान है। हिन्दू पुराणों के अनुसार बारिश का जल सबसे शुद्ध, उसके बाद हिमालय से निकलने वाली नदियों का, फिर कुवे और सरोवर का जल शुद्ध होता है। जल के देवता कश्यप ऋषि के पुत्र वरुण हैं। ऋग्वेद का 7वां मंडल वरुण देवता को समर्पित है। जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है- H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। इसका ठोस रूप बर्फ, तरल रूप पानी और गैसीय रूप भाप के रूप में जाना जाता है।
 
जल प्रदूषण आंकड़े (figures) : 
1. कल कारखानों का दूषित जल और मानव निर्मित कचरा नदियों में मिलकर जल को भयंकर रूप से प्रदूषित कर रहा है। 
 
2. भारत के जल शक्ति राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडु ने पिछले साल ही संसद में बताया था कि कई राज्यों में जल प्रदूषण बढ़ा है। पानी में लेड, आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिक मात्रा चिंताजनक है। 
 
3. एक रिपोर्ट के अनुसार 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 154 जिलों में पानी प्रदूषित है। अनुमानित रूप से भारत में 7.6 करोड़ की आबादी को स्वच्छ जल सहज उपलब्ध नहीं है। विश्व में 2.2 बिलियन लोगों को साफ पीने का पानी नहीं मिल पाता है। 
 
4. देश के कुल भूमिगत जल का 73 फीसदी दोहन किया जा चुका है। आने वाले समय में पानी पर संकट गहराने वाला है क्योंकि नदियों का जल स्तर भी घटता जा रहा है और कई नदियां तो प्रदूषण का शिकार हो चली है।
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5. देशभर के कुए और बावड़ियां तो लगभग समाप्त ही हो चले है। यही हालात दुनिया की भी है। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 40 देश और एक अरब लोग आज भी पर्याप्त पानी के अभाव से त्रस्त हैं।
 
6. बढ़ता शहरीकरण पानी के संकट को तेजी से गहरा रहा है, क्योंकि शहरों की बढ़ती आबादी के लिए पानी की उपलब्धता गांवों के नदी, तालाबों से पूरी की जा रही है। इससे गांव में जल संकट पैदा हुआ है।
 
7. विश्व की प्रमुख नदियों में नील, अमेजन, यांग्त्सी, ओब-इरिशश, मिसिसिप्पी, वोल्गा, पीली, कांगो, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गंगा, यमुना, नर्मदा आदि सैकड़ों नदियां हैं। ये सारी नदियां पानी तो बहुत देती हैं, परंतु एक ओर जहां बिजली उत्पादन के लिए नदियों पर बनने वाले बांध ने इनका दम तोड़ दिया है तो दूसरी ओर मानवीय धार्मिक, खनन और पर्यावरणीय गतिविधियों ने इनके अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है। 
 
8. पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के कारण प्रमुख नदियों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। सिंचाई, पीने के लिए, बिजली तथा अन्य उद्देश्यों के लिए पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल से भी चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। इसके कारण तो कुछ नदियां लुप्त हो गई हैं और कुछ लुप्त होने के संकट का सामना कर रही हैं। जब सभी नदियां सूख जाएंगी तो भयानक जल संकट से त्रासदी की की नई शुरुआत होगी।
 
9. राष्ट्रीय स्वास्थ्य रिपोर्ट (एनएचपी) में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है 21.83 फीसद लोग दूषित पानी पीने से डायरिया से ग्रसित होते हैं। 20 से 25 फीसद लोगों में बीमारी का कारण पर्यावरण प्रदूषण है, जिसे कम किया जा सकता है।
 
10. भूजल स्तर में गिरावट तो चिंता की बात है क्योंकि इससे साफ पानी के कमी हो जाने का खतरा उत्पन्न हो रहा है। भूजल स्तर गिरने से जमीन की भीतरी परत जहां पानी इकठ्ठा होता है, वह सिकुड़ रही हैं और जमीन बैठती जा रही है। संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अनुसार, पिछले दशक में उत्तरी भारत का भूजल 8.8 करोड़ एकड़-फिट कम हो चुका है। यहां भूजल के खत्म होने के चलते जमीन की सतह का आकार तेजी से बदल रहा है। भारत में ही लगभग 433 अरब क्यूबिक मीटर भूजल का सालाना इस्तेमाल होता है। शोध बताते हैं कि यह बहुत खतरनाक स्तर है। भविष्‍य में धरती भीतर से जब तरकने लगेगी तो भूकंप और बाढ़ का असर बढ़ जाएगा और इसी के साथ ही समुद्र तटीय शहर जल में डूब जाएंगे।

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