जिस रेमडीसिविर इंजेक्शन के लिए हाल ही में इंदौर समेत देश के कई शहरों के मेडिकलों और दवा बाजारों में खरीददारों की भीड लगी, दरअसल वह इंजेक्शन कोविड संक्रमण में या तो बहुत कम या फिर बिल्कुल भी असरकारक नहीं है।
देश के कई डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है और इसे अनफाउंडेड यानी निराधार बताया है।
आइए जानते है आखिर क्या है रेमडीसिविर और सबसे पहले इसे किस रोग के लिए डवलेप किया गया था। इसके इस्तेमाल को लेकर डॉक्टर क्या कहते हैं।
दरअसल, जिस रेमडीसिविर इंजेक्शन के लिए फिलहाल इतनी मारामारी चल रही है, वो सबसे पहले हेपेटाइटीस सी के लिए बनाया गया था। इसके बाद उसे इबोला और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एमईआरएस के लिए के लिए इस्तेमाल किया गया।
लेकिन जैसा कि अभी हो रहा है, कोविड-19 के संक्रमण में एक जीवन रक्षक ड्रग के तौर पर इसका इस्तेमाल गलत है। डॉक्टरों के मुताबिक रेमडीसिविर इंजेक्शन सिर्फ मरीज के अस्पताल में रहने के समय को दो या तीन दिन घटा सकता है।
क्या थी आईसीएमआर की गाइडलाइन?
पिछले साल 2020 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपनी एक गाइडलाइन जारी कर बताया था कि इस ड्रग का लाइफ सेविंग में कोई फायदा नहीं है और यह सिर्फ संक्रमण के दौरान पहले 10 दिनों के भीतर इस्तेमाल करने के लिए ही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कोविड टास्क फोर्स के डॉ शशांक जोशी ने बताया कि लोगों को इसके लिए भागम-भाग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह निराधार है। यह ड्रग सिर्फ शरीर में वायरल इंफेक्शन के रेप्लिकेशन को रोकने में मदद करता है। मृत्यु से बचाने के लिए इस ड्रग में कोई क्षमता नहीं है। डॉ जोशी कहते हैं कि हो सकता है कि डॉक्टर इसे प्रिस्क्राइब्स करते हों ताकि अस्पताल में मरीज के रहने का टाइम घटाया जा सके और बाकी मरीजों के लिए पलंग की उपलब्धता बढाई जा सके।
टाइम्स के मुताबिक मुंबई, थाने के एक चेस्ट विशेषज्ञ डॉक्टर अजय गोडसे का कहना है कि करीब 95 प्रतिशत मरीजों के लिए रेमडेसिविर है, लेकिन इसे किसी चमत्कार की तरह नहीं लिया जाना चाहिए।
क्या कहती है दूसरी स्टडीज?
कोविड-19 के खिलाफ रेमडेसिविर कितनी असरदार है इसका पता लगाने के लिए अब तक कई ट्रायल और स्टडीज हो चुकी हैं। ऐसा ही एक ट्रायल अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने भी किया था जिसमें यह सुझाव दिया गया कि रेमडेसिवियर कोविड-19 के मरीजों के रिकवरी टाइम को 31 प्रतिशत तक बेहतर कर सकती है और इस तरह से मरीज 11वें दिन में अस्पताल से बाहर आ सकता है। जबकी स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट में मरीज को 15 दिन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलती है।
क्यों बनाई गई थी रेमडीसिविर?
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रेमडीसिविर को इबोला के लिए किया गया था विकसित
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रेमडीसिविर एक न्यूक्लियोसाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) पोलीमरेज़ इनहिबिटर इंजेक्शन है।
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इसका निर्माण सबसे पहले वायरल रक्तस्रावी बुखार इबोला के इलाज के लिए किया गया था।
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इसे अमेरिकी फार्मास्युटिकल गिलियड साइंसेज द्वारा बनाया गया है।
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फरवरी में US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीज (NIAID) ने SARS-CoV-2 के खिलाफ जांच के लिए रेमडीसिविर का ट्रायल करने की घोषणा की थी।