नई दिल्ली। पिछले 1 महीने में दिल्ली और आस-पास के शहरों में बड़ी संख्या में लोगों ने कोरोनावायरस के संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बावजूद या तो जांच से परहेज किया या कोविड-19 जैसे लक्षण दिखने के बाद एक साधारण रैपिड एंटीजन जांच का विकल्प चुना। एक स्वास्थ्य गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने इस बात का दावा किया है।
देश के अधिकतर हिस्सों में कोरोनावायरस के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के शहरों में भी एक बार फिर यही स्थिति है। एनजीओ लोकल सर्किल्स ने एक बयान में कहा कि सिर्फ दिल्ली में रोजाना 1,500-1,800 मामले दर्ज किए गए हैं और एनसीआर शहरों में 600-1,000 अन्य मामले दर्ज किए गए हैं, कई लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या ये मामले कोविड-19 के प्रसार का सही अनुमान लगा रहे हैं?
जमीनी स्थिति को समझने के लिए लोकल सर्किल ने दिल्ली और आस-पास के शहरों के निवासियों से जानकारी मांगी कि क्या उन्हें या उनके परिवार में किसी को पिछले 30 दिनों में संक्रमण के लक्षण थे और उन्होंने ऐसी स्थिति में खुद जांच कैसे की। सर्वेक्षण में दिल्ली-एनसीआर के सभी जिलों के नागरिकों से 11,059 प्रतिक्रियाएं मिलीं। इनमें से 64 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे जबकि 36 प्रतिशत उत्तरदाता महिलाएं थीं।
एनजीओ ने दावा किया कि जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण थे, उनमें से केवल 16 प्रतिशत ने आरटी-पीसीआर जांच की, 34 प्रतिशत ने घर पर आरएटी (रैपिड एंटीजेन टेस्ट) किया और 50 प्रतिशत ने कोई जांच नहीं की। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को 1 दिन में कोविड-19 के 1,530 नए मामले आए और 3 लोगों की मौत हुईं जबकि संक्रमण दर बढ़कर 8.41 प्रतिशत हो गई।
यह लगातार 5वां दिन है, जब दिल्ली में 1 दिन में 1,300 से अधिक मामले दर्ज किए गए। रविवार को किए गए 18,183 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच में नए मामलों का पता चला। विभाग ने अपने बुलेटिन में कहा कि नए मामलों से दिल्ली में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 19,22,089 तक पहुंच गई है जबकि मरने वालों की संख्या बढ़कर 26,232 हो गई।