मुंबई। कोविड-19 का मुकाबला करने में महाराष्ट्र सरकार की कथित 'विफलता' का विरोध करने के भाजपा के फैसले पर राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने संकट के दौरान राजनीति करने का भगवा पार्टी पर आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस तरह के आंदोलन से सहमत नहीं होंगे।
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई को बचकाना करार देते हुए पाटिल ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र कोविड-19 की जांच, रोगियों की पहचान करने, उनका इलाज करने तथा प्रवासी श्रमिकों के लिए व्यवस्था करने में अग्रणी है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा का आरोप है कि केरल के विपरीत शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार कोरोना वायरस के प्रसार और राज्य में मरीजों की मौत की बढ़ती संख्या पर काबू पाने में 'विफल' रही है। भाजपा ने बुधवार को लोगों से 22 मई को विरोध दर्ज कराने की अपील की है।
पाटिल ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने (डॉक्टरों, नर्सों और पुलिस के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए) थाली बजाने और दीप जलाने का आह्वान किया था तो सभी विपक्षी दलों ने भी इसका समर्थन किया था ताकि यह संदेश दिया जा सके कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में पूरा देश एकजुट है। पाटिल महाराष्ट्र राकांपा प्रमुख भी हैं।
पाटिल ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि महाराष्ट्र भाजपा संकट के दौरान राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा कोविड-19 परीक्षण किए हैं और इसीलिए यहां अधिकतम मामले सामने आ रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि अगर महाराष्ट्र की तरह परीक्षण किए जाएं तो भाजपा शासित उत्तरप्रदेश, बिहार और गुजरात में अधिक मामले सामने आएंगे। पाटिल ने कहा कि भाजपा के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना सही नहीं है।
पाटिल ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की कथित टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सहयोगी कांग्रेस और राकांपा के साथ संबंध खत्म कर लेना चाहिए वरना वे पार्टियां कोरोना वायरस संकट में शिवसेना अध्यक्ष को नष्ट कर देंगी।
भाजपा पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा कि राकांपा ने यह सवाल नहीं किया है कि जब भारत में भगवा पार्टी शासन कर रही है तो कोरोना वायरस कैसे आया? उन्होंने कहा कि राकांपा सवाल नहीं उठाएगी और वह इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहती है। (भाषा)