हैदराबाद। कोरोनावायरस (Coronavirus) का स्वरूप एन440के देश के दक्षिणी राज्यों में तेजी से फैल रहा है और स्थिति पर करीबी नजर रखने की जरूरत है। सीएसआईआर-कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह कहा है।
इस अध्ययन में कहा गया है कि वायरस में बदलाव वाले जिन स्वरूपों की दुनिया के कई देशों में पहचान हुई है, उनकी मौजूदगी भारत में बहुत कम मिली है, लेकिन इसका कारण यह हो सकता है कि जीनोम अनुक्रमण का पर्याप्त कार्य नहीं हुआ है।
सीसीएमबी के वैज्ञानिक लगातार कोरोना वायरस के जीनोम का अनुक्रमण और विश्लेषण का काम कर रहे हैं। सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि हमें ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि दक्षिणी राज्यों में कोरोनावायरस का एन440के स्वरूप तेजी से फैल रहा है। इसके प्रसार की स्थिति को समझने के लिए करीबी निगरानी की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हालात बिगड़ने से पहले नए स्वरूप का समय रहते पता लगाना बहुत जरूरी है। अध्ययन में कहा गया कि कोरोनावायरस से बचाव के लिए टीके उपयोगी हैं, लेकिन मास्क लगाना, हाथ साफ करते रहना और उचित दूरी बनाकर रखना सबसे कारगर उपाय है।
वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 5000 से ज्यादा स्वरूपों और महामारी के दौरान उनके उभार पर विश्लेषण के बाद यह तथ्य पेश किया है। मिश्रा ने कहा कई देशों में खौफ पैदा करने वाले नए स्वरूप के मामले भारत में बहुत कम आए हैं और इसमें ई484 के और एन501वाई स्वरूप भी है।
अध्ययन में कहा गया है कि कम मौजूदगी का एक कारण यह भी हो सकता है कि पर्याप्त सीक्वेंसिंग नहीं हुई है। वायरस के नए स्वरूप का सटीकता से पता लगाने के लिए देश में कोरोनावायरस के जीनोम अनुक्रमण का और ज्यादा काम करने की जरूरत है।