Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

लता मंगेशकर को जहर देकर जान लेने की हुई थी कोशिश

हमें फॉलो करें लता मंगेशकर को जहर देकर जान लेने की हुई थी कोशिश
, शनिवार, 28 सितम्बर 2019 (12:04 IST)
अपनी मधुर गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाली स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को एक समय धीमा जहर देकर जान से मारने की कोशिश की गई थी। लता मंगेशकर के निकट सम्पर्क में रहीं प्रसिद्ध डोगरी कवयित्री और हिन्दी की प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मा सचदेव की प्रकाशित संस्मरणात्मक पुस्तक में इस घटना का जिक्र किया गया है। 
इस पुस्तक में लता मंगेशकर ने बताया है कि यह घटना 1962 में हुई थी जब वे 33 वर्ष की थीं। एक दिन उठने पर उन्हें पेट में अजीब-सा महसूस हुआ। इसके बाद उन्हें पतले पानी जैसी दो-तीन उल्टियां हुईं, जिनका रंग हरा था। वे हिल भी नहीं पा रही थीं और दर्द से बेहाल थीं। डॉक्टर को बुलाया गया। दर्द बर्दाश्त से बाहर होने पर डॉक्टर ने उन्हें बेहोशी के इंजेक्शन लगाए। तीन दिन तक जीवन और मौत के बीच वे संघर्ष करती रहीं।

लता ने बताया कि वे काफी कमजोर हो गई थीं और तीन महीने तक बिस्तर पर पडी रहीं। उस दौरान वह कुछ खा भी नहीं पाती थीं। सिर्फ ठंडा सूप उन्हें पीने को दिया जाता था, जिसमें बर्फ के टुकडे पडे रहते थे।
 
पेट साफ नहीं होता था और उसमें हमेशा जलन होती रहती थी। दस दिन तक हालत खराब होने के बाद फिर धीरे-धीरे सुधरी। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा था। इस घटना के बाद उनके घर में खाना पकाने वाला रसोइया किसी को कुछ बताए और पगार लिए बिना भाग गया। बाद में लता मंगेशकर को पता चला कि उस रसोइये ने फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया था।
 
हिन्दी सिनेमा पर कई पुस्तकें लिख चुकीं लंदन निवासी लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर के साथ साक्षात्कार में भी लता मंगेशकर ने इस घटना का उल्लेख किया था। उनके साक्षात्कार पर आधारित यह पुस्तक 2009 में प्रकाशित हुई थी।
 
इस घटना के बाद घर में रसोई का काम उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने संभाला और वे खाना बनाने लगीं। लता ने बताया है कि बीमारी के दौरान वह गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी के स्नेह को नहीं भूल सकतीं, जो पूरे तीन महीने तक हर रोज शाम छह बजे आकर उनके पास बैठते थे और जो कुछ वह खाती थीं वही खाते थे। वे कविताएं और कहानियां सुनाया करते थे। उन्होंने बताया कि पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उन्होंने सबसे पहले जो गीत रिकॉर्ड कराया वो गीत था ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ जिसका संगीत हेमन्त कुमार ने दिया था।
 
इस पुस्तक में लता मंगेशकर को जहर देने की एक और घटना का जिक्र किया गया है, लेकिन यह उल्लेख उषा मंगेशकर के हवाले से है। उषा मंगेशकर ने पुस्तक में बताया है ‘’गीतकार शैलेन्द्र का निधन हो चुका था। जब दीदी को जहर दिया तो वह मेरे ख्वाब में आए और कहने लगे उषा मुझे माफ करो, ये मैंने नहीं किया। मैंने अपनी आंखों से अमुक को दीदी को जहर देते देखा है। मौत के बाद उनका मेरे ख्वाब में आना अजीब था।‘’(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लता मंगेशकर कागज पर कुछ भी लिखने के पूर्व किस भगवान का नाम लिखती हैं