- टीम बीबीसी हिंदी (नई दिल्ली)
भारतीय राजनीति में चुनावी समर के दौरान राजनेताओं के ज़ुबान फिसलने का लंबा इतिहास रहा है। इस बार के लोकसभा चुनावों में न सिर्फ़ कई नेताओं की ज़ुबान फिसली है, बल्कि उन्होंने राजनीति से इतर नेताओं की निजी ज़िंदगियों में तांक-झांक वाले ऐसे बोल बोले हैं, जो न सिर्फ़ आपत्तिजनक हैं, बल्कि जिसकी उनसे उम्मीद नहीं की जाती है।
चुनावी रैलियों में जनता के सामने अपने प्रतिद्वंद्वी को नीचा दिखाने के मकसद से ये नेता मर्यादा और नैतिकता की रेखाएं पार करते नज़र आए हैं। इस जमात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न पार्टियों के दिग्गज राजनेता शामिल हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के चरण आगे बढ़ते गए, विवादास्पद बयानों की झड़ी भी लगने लगी।
महिला अस्मिता पर चोट
हालिया बयान बसपा सुप्रीमो मायावती का आया है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक विवादस्पद बयान दिया। मायावती ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते, यहां तक कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए पीएम मोदी ने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया।
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी पीछे नहीं रहे हैं। उन्होंने एक बयान दिया, जिसकी यह कहते हुए आलोचना की गई कि वो महिलाओं को कमतर आंकते हैं।
उन्होंने शनिवार को इंदौर में एक कार्यक्रम में कहा था, "मोदी उस दुल्हन की तरह हैं, जो रोटी कम बेलती है और चूड़ियां ज्यादा खनकाती है, ताकि मोहल्ले वालों को पता चले कि वह काम कर रही है। यह मैं आठवीं बार पूछ रहा हूं कि मोदी मुझे अपनी बस एक उपलब्धि बता दें।"
जिस पर भाजपा ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि ऐसे बयान जारी कर कांग्रेस दिखाना चाहती है कि देश की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाएं कमज़ोर हैं। भाजपा ने कहा, "सिद्धू और कांग्रेस को ऐसा बयान देने के लिए माफी मांगनी चाहिए।"
'फांसी लगाएंगे मोदी...?'
विवाद का दौर यहीं नहीं थमा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित बयान दिया। खड़गे ने रविवार को कर्नाटक के कलबुर्गी के एक चुनावी सभा में कहा कि अगर हमें 40 से ज़्यादा सीटें मिलती हैं तो क्या मोदी दिल्ली के विजय चौक पर फांसी लगा लेंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "जहां भी वो (मोदी जी) जाते हैं, कहते हैं कि कांग्रेस को लोकसभा में 40 सीटें भी नहीं मिल पाएंगी। क्या आप में से कोई भी इसे मानता है? अगर कांग्रेस को 40 से ज़्यादा सीटें मिल गईं तो क्या मोदी दिल्ली के विजय चौक पर फांसी लगा लेंगे?"
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर रफ़ाल सौदे में कथित रूप से भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते रहे हैं। वो अपनी हर रैली में चौकीदार चौर है का नारा दोहराते हैं। छठे चरण के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ मई को राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाने पर लिया।
उन्होंने राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी बताया और कहा कि उनकी ज़िंदगी का अंत "भ्रष्टाचारी नंबर एक" के तौर पर हुआ। मोदी ने ये भी कहा कि राजीव गांधी आईएनएस विराट पर छुट्टियां मनाने जाते थे और इसका इस्तेमाल उन्होंने टैक्सी की तरह किया।
दुर्योधन से तुलना
सक्रिय राजनीति में नई-नई आईं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को मोदी को लेकर दिया गया बयान भी चर्चा में रहा और इस भी जमकर विवाद हुआ। प्रियंका ने चुनौती कि मोदी में अगर हिम्मत है तो विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़े।
उन्होंने कहा कि लोग प्रधानमंत्री को अच्छी तरह से समझाने वाले हैं। मोदी में भी कौरवों के नेता दुर्योधन की तरह अहंकार है। प्रियंका गांधी ने कहा, "इस देश ने कभी अहंकार और घमंड को माफ नहीं किया है, इतिहास इसका गवाह है। ऐसा अहंकार दुर्योधन में भी था, उन्हें सच्चाई दिखाने के लिए भगवान कृष्ण समझाने गए तो दुर्योधन ने कृष्ण जी को भी बंधक बनाने की कोशिश की।" प्रियंका हरियाणा के अंबाला से कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा के लिए चुनाव प्रचार करने गई थीं।
चौकीदार को जब 'जल्लाद' कहा
प्रियंका के इस बयान पर विवाद छिड़ने के बाद नेताओं की ओर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं। इसी बीच बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने प्रियंका गांधी के मोदी को दुर्योधन कहे जाने वाले विवादित बयान को और धारदार बना दिया।
राबड़ी देवी ने कहा, "उन्होंने (प्रियंका) दुर्योधन बोलकर गलत किया। दूसरी भाषा बोलनी चाहिए थी। वो सब तो जल्लाद हैं, जल्लाद। जो जज और पत्रकार को मरवा देते हैं, उठवा लेते हैं, ऐसे आदमी का मन और विचार कैसे होंगे, खूंखार होंगे।"
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'जल्लाद' बताया। मेहरोत्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, "प्रधानमंत्री ने पिछले पांच सालों में जनता पर बेतहाशा जुल्म और अन्याय किए हैं। इसलिए आज पूरा देश उस जालिम से छुटकारा पाना चाहता है।"
"जनता पांच साल से कराह रही है और देश का प्रधानमंत्री अरबों-खरबों रुपए से विदेश घूम रहा है। गरीब भूख से मर रहे थे, किसान आत्महत्या कर रहे थे, इसलिए ये बात सही है कि देश का चौकीदार जल्लाद है।"
जब मोदी के ही ख़िलाफ़ बोल पड़े गिरिराज
अपने विवादित बयानों के लिए चर्चित भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अक्सर विपक्षियों पर हमला बोलते नज़र आते हैं, लेकिन इन चुनावों के दौरान उनकी ज़ुबान ऐसी फिसली कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही ख़िलाफ़ बोल पड़े।
मई के पहले हफ्ते में मुजफ्फरपुर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में गिरिराज सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी पर चरमपंथियों को समर्थन देने की बात कह डाली। उन्होंने कहा था, "ये आज से नहीं, जब से सरकार बनी, मोदी जी ने आतंकियों का समर्थन किया, सेना को गाली दी।"
गिरिराज सिंह ये बातें पहले की सरकारों के ख़िलाफ़ बोलना चाह रहे थे। ज़ुबान फिसलने के कारण उन्होंने विपक्षियों के नाम की जगह, अपने ही नेता का नाम ले लिया।
'दुर्योधन' के बाद 'औरंगज़ेब' बताए गए मोदी
प्रियंका गांधी के मोदी को दुर्योधन बताने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना औरंगज़ेब से की थी और कहा कि उनसे भाजपा के लोग भी त्रस्त हैं।
वाराणसी में कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय के समर्थन में एक सभा के दौरान संजय ने कहा था, "वाराणसी के लोगों ने जिस व्यक्ति को चुना वो औरंगज़ेब के आधुनिक अवतार हैं क्योंकि यहां पर कॉरिडोर के नाम पर सैकड़ों मंदिरों को तुड़वाया गया और विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के नाम पर 550 रुपए की फीस लगाई गई।"
उन्होंने कहा, "ये इस बात का सबूत है कि जो काम औरंगज़ेब नहीं कर पाया वो नरेंद्र मोदी कर रहें हैं। औरंगज़ेब ने जजिया कर लगाकर हिंदुओं पर अत्याचार किया था, उसी तरह नरेंद्र मोदी मंदिरो को तोड़कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए जजिया लगा रहें हैं।"
अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक वाला बयान
30 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्धा की एक रैली में राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने यहां अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का मुद्दा छेड़ा। मोदी ने कहा, "अब उनकी (राहुल गांधी) हिम्मत नहीं है कि जहां पर बहुसंख्यक (हिंदू) रहते हैं, वहां से चुनाव लड़े। इसलिए भाग कर वहाँ शरण लेने को मजबूर हुए हैं जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक में हैं।"
कंकड़ भरे लड्डू
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वो बयान भी काफी विवादों में रहा था जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को 'मिट्टी के बने और कंकड़ भरे लड्डू' भेजने की बात कही थी। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़िल्म अभिनेता अक्षय कुमार को दिए इंटरव्यू के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि "ममता दीदी उन्हें साल में एक बार कुर्ते और मिठाइयां भेजती हैं।"
रानीगंज की एक रैली में ममता ने कहा था, "नरेंद्र मोदी वोट मांगने बंगाल आ रहे हैं, लेकिन लोग उन्हें कंकड़ भरे और मिट्टी से बने लड्डू देंगे, जिसे चखने के बाद उनके दांत टूट जाएंगे।" इससे पहले उन्होंने कहा था कि वो शिष्टाचार के नाते मोदी को ये सब भेजती थीं, लेकिन उन्होंने इसे सार्वजनिक करके एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया।
हिंदुस्तान खत्म हो जाएगा
अप्रैल के अंतिम सप्ताह में पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए चुनाव रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी फिर से पीएम बन गए तो हिंदुस्तान खत्म हो जाएगा।
उन्होंने भोपाल में कहा था कि मच्छर को कपड़े पहनाने, हाथी को गोद में झुलाने और तुमसे सच बुलवाना असंभव है नरेंद्र मोदी। उन्होंने कहा पहले जब हमले होते थे तो लोग इस्तीफा देते थे। अब लोग वोट मांगते हैं। लाशों की राजनीति करते हैं। "मोदी डूबता सूरज है और राहुल गांधी उगता सूरज है। नरेंद्र मोदी, बात करोड़ों की, दुकान पकोड़ों की और संगत भगोड़ों की। वाह रे तेरे जुमले, जुमला प्रसाद।"