Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भोपाल में बंपर वोटिंग के बाद भी सियासी तस्वीर साफ नहीं, बढ़ी वोटिंग के मायने तलाशने में जुटे राजनीतिक पंडित

हमें फॉलो करें भोपाल में बंपर वोटिंग के बाद भी सियासी तस्वीर साफ नहीं, बढ़ी वोटिंग के मायने तलाशने में जुटे राजनीतिक पंडित

विकास सिंह

, सोमवार, 13 मई 2019 (16:34 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 8 सीटों पर बंपर वोटिंग हुई। रविवार को सुबह 7 बजे से शुरू हुई वोटिंग शाम 6 बजे तक चली। इन 8 सीटों पर 65 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई। इसमें भोपाल में 65.69 फीसदी, गुना में 69.88 फीसदी, ग्वालियर में 59.69 फीसदी, मुरैना में 62.12 फीसदी, सागर में 65.63 फीसदी, राजगढ़ में 74.00 फीसदी, विदिशा में 70.80 फीसदी मतदान हुआ, जो कि 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 8 फीसदी से अधिक है। मध्यप्रदेश में अब तक 3 चरणों में जो वोटिंग हुई है, उसमें अब तक रिकॉर्ड मतदान हुआ है।
 
जब हाल में ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर हुई थी, ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में जो बंपर वोटिंग हो रही है, उसका फायदा किसी राजनीतिक दल को मिलेगा?
 
बंपर वोटिंग के बाद सियासी खेमों में खामोशी : लोकसभा चुनाव में 6ठे चरण में सबसे हाईप्रोफाइल सीट भोपाल में बंपर वोटिंग हुई। 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले लगभग 8 फीसदी से अधिक हुई वोटिंग के बाद अब सियासी दलों के नेताओं के साथ लोगों में भी इस बात को लेकर उत्सुकता है कि जो बंपर वोटिंग हुई है, वह किसके पक्ष में है?
 
वोटिंग के दौरान 'वेबदुनिया' ने भोपाल के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर पोलिंग बूथों का जायजा लिया और लोगों से बातचीत की। इस दौरान वोटों का ध्रुवीकरण साफतौर पर देखने को मिला, तो राष्ट्रवाद और मोदी के चेहरे पर भी लोग खुलकर बात करते हुए दिखाई दिए, वहीं पुराने शहर में लोगों ने शहर के विकास को अपनी प्राथमिकता बताया।
webdunia
भोपाल सहित मध्यप्रदेश में हुई बंपर वोटिंग के क्या मायने हैं, इसे समझने के लिए 'वेबदुनिया' ने वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर से बात की। 'वेबदुनिया' से बातचीत में गिरिजाशंकर वोट प्रतिशत में बढ़त को स्वाभाविक बताते हुए कहते हैं कि 2009 के मुकाबले 2014 में भी करीब 10 फीसदी अधिक मतदान हुआ था, वहीं 2014 के मुकाबले अब 2019 में अधिक मतदान हुआ है।
 
गिरिजाशंकर कहते हैं कि चुनाव आयोग की जागरूकता और मीडिया कैंपेन के चलते आज शहरी इलाकों में वोट डालना एक स्टेटस सिंबल बन गया है। इसके चलते लोग वोट डालने अधिक संख्या में पहुंचते हैं। वहीं मध्यप्रदेश में इस बार देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक मतदान होने पर गिरिजाशंकर कहते हैं कि जहां पोलिटिकल एक्टिजम अधिक होता है और राजनीतिक दल मैदान में अधिक काम करते हैं, तो इसका असर चुनाव पर दिखाई देता है और कार्यकर्ता घर-घर जाकर अपनी पार्टी के पक्ष में वोट करने के लिए घर से निकालते हैं, उससे पोलिंग प्रतिशत बढ़ता है।
 
भोपाल लोकसभा सीट खासकर सीहोर और बैरसिया सीट पर अधिक मतदान होने पर गिरिजाशंकर कहते हैं कि अभी भी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। बढ़े वोटिंग प्रतिशत को समझने के लिए अभी आंकड़ों का अध्ययन करने के साथ-साथ ये देखना होगा कि जो अधिक मतदान हुआ है, वह कहां और किन इलाकों में हुआ है?
 
भोपाल लोकसभा सीट, जिस पर चुनाव से पहले वोटर पूरी तरह खामोश था, वहां अब चुनाव के बाद भी तस्वीर बहुत कुछ साफ नहीं है। भले ही सियासी दल कुछ भी दावा कर रहे हों लेकिन असली तस्वीर तो 23 मई को ही साफ हो पाएगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर, प्रेमिका से संबंध तोड़ने को कहा तो पति ने पत्नी के साथ‍ किया यह खौफनाक काम