Know what is GRC Sculptures : सप्तपुरियों में प्रथम पुरी के तौर पर विख्यात अयोध्या के त्रेतायुगीन वैभव को लौटाने के जो कार्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चल रहे हैं। उसे अब नए आयाम पर ले जाने की तैयारी की जा रही है। जिसके चलते श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य भवन के समीप व बाहरी दीवारों पर ग्लास फाइबर रीइन्फोर्स्ड कॉन्क्रीट (जीआरसी) मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जहां बाहरी दीवारों पर उकेरी गई परकोटों जैसी विभिन्न आकृतियों को जीआरसी कॉम्पोजिट फ्रेम इंस्टॉलेशन के जरिए पूरा किया गया है। वहीं मंदिर समेत अयोध्या में विभिन्न स्थानों पर जीआरसी के बने स्कल्पचर्स को बाहरी व इनबिल्ट डेकोरेटिव लाइटों से युक्त कर नई क्रांति प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
क्या होता है जीआरसी : ग्लास फाइबर कॉन्क्रीट यानी जीआरसी एक प्रकार का कंपोजिट मटेरियल है। इसे हाइड्रॉलिक सीमेंट, सिलिका सैंड, एल्केलाइन रेजिस्टेंट ग्लास फाइबर व पानी के मिश्रण के जरिए बनाया जाता है। यह पत्थरों की ही तरह टिकाऊ होता है। मगर वजन में उससे हल्का होता है।
इसे ढालकर, तराशकर और आमतौर पर कंपोजिट फ्रेम्स में काटकर शिल्प को तैयार किया जाता है। पत्थरों की अपेक्षा इसे आकार देना आसान होता है और एक ओर जहां बड़ी परियोजनाओं में पत्थरों को तराशे जाने से इलाके की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में पर्टिकुलेट मैटर बढ़ जाते हैं जिससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।
वहीं इसके मुकालबे जीआरसी के प्रयोग से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है। यही कारण है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर व अयोध्या तीर्थ क्षेत्र में तमाम अवस्थापनाओं के विकास में जीआरसी का प्रयोग किया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की बाहरी दीवारों पर परकोटों और कलाकृतियों की जो आकृतियां दी गई हैं, उनमें से ज्यादातर में इसी जीआरसी कॉम्पोजिट फ्रेमिंग टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है।
ऐसे में अयोध्या विकास प्राधिकरण की योजना है कि अब शहर के सौंदर्यीकरण में पौराणिक किरदारों की प्रतिमाओं समेत अन्य सजावटी कलाकृतियों का निर्माण जीआरसी के जरिए किया जाए और इसे इनबिल्ट व बाहरी डेकोरेटिव लाइटों से युक्त किया जाए, जिससे अयोध्या के नगरीय विकास के अद्भुत सौंदर्य के प्रतिमान को स्थापित व प्रचारित किया जा सके।
लीक से हटकर साबित होगा प्रयास : एडीए की ओर से शहर में विभिन्न स्थानों पर आर्टिस्टिकली डिजाइन्ड जीआरसी स्कल्पचर्स का विकास किया जा रहा है। जिससे आधुनिक अयोध्या के सौंदर्य और वैभव का यशोगान हो सके। इस क्रम में एडीए द्वारा एक एजेंसी के निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की गई है, जो इन सजावटी जीआरसी स्कल्पचर्स को इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन और प्रतिमानों के अनुरूप आधुनिक रोशनी सज्जा से युक्त करेगी।
एडीए द्वारा ई-निविदा माध्यम के जरिए टेंडर प्रस्तुत किया है। माना जा रहा है कि 22 जनवरी को होने वाले श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्व इस प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जाएगा।
बताते चलें कि परियोजना के पूरा होने पर यह बेहद भव्य स्वरूप प्रस्तुत करेगा और इन सभी शिल्पों को देश-दुनिया से आने वाले तीर्थयात्री व पर्यटक न केवल निहारकर उसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाएंगे, बल्कि यह सेल्फी प्वॉइंट व रील्स बनाने के लिए भी आकर्षण स्थल के तौर पर कार्य करेगा। इन स्कल्पचर्स में रामायण काल के प्रसंगों व पौराणिक किरदारों की कलाकृतियां उकेरी जा रही हैं, जो अयोध्या के समृद्ध ऐतिहासिक वैभव की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करेंगी।