अटल जी को श्रद्धांजलि : सूर्य कभी अस्त नहीं होता...

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
सूर्य उदय से सूर्यास्त तक 
सुनहरी गुलाबी 
बदलती किरणों को 
निहारकर 
शब्दों में
किताबों में
रचते रहे सदा।
 
शब्दों का गुम हो जाना 
नामुमकिन-सा होता 
किताबें अमर होती
जैसे अमर हुए अटलजी।
 
अटलजी ने 
अनुभवों की झोली से
साहित्य जगत को बांटा
काव्य का प्रसाद।
 
काव्य के
अनमोल शब्द 
आज भी कानों में
गूंजा करते
करतल ध्वनियों
और वाह-वाह के
शब्दों के साथ।
 
अटलजी
हमारे बीच सदा रहेंगे
जब-जब दोहराई जाएंगी
उनकी कविताएं।
 
फिर गूंज उठेंगे साहित्य के पांडाल
साहित्य के आंगन में
कहते हैं सूर्य कभी अस्त
होता नहीं
जैसे अटलजी!
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