नए मील का पत्थर पार हुआ।
कितने पत्थर शेष न कोई जानता
अंतिम कौन पड़ाव नहीं पहचानता?
अक्षय सूरज, अखण्ड धरती,
केवल काया, जीती-मरती,
इसलिए उम्र का बढ़ना भी त्योहार हुआ।
नए मील का पत्थर पार हुआ।
बचपन याद बहुत आता है,
यौवन रसघट भर लाता है,
बदला मौसम, ढलती छाया,
रिसती गागर, लुटती माया,
सब कुछ दांव लगाकर घाटे का व्यापार हुआ।
नए मील का पत्थर पार हुआ।