Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

गुरु का राशि परिवर्तन, गुरु चांडाल दोष निवारण के लिए उत्तम समय...

हमें फॉलो करें गुरु का राशि परिवर्तन, गुरु चांडाल दोष निवारण के लिए उत्तम समय...
11 अक्टूबर को बृहस्पति नेे तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश कर लिया है और वे 5 नवंबर 2019 तक वृश्चिक राशि में रहेंगे। गुरु का वृश्चिक राशि में यह गोचर साल भर से भी अधिक 390 दिनों तक रहेगा, जिसका असर सभी राशि के जातकों पर पड़ेगा।  
 
इन 390 दिनों में गुरु विभिन्न नक्षत्रों - विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल नक्षत्रों का भ्रमण करते हुए धनु राशि में पहुंचेंगे और वक्री होते हुए पुन: वृश्चिक राशि में प्रवेश कर पुन: ज्येष्ठा नक्षत्र होकर मार्गी होकर अंतत: धनु राशि में प्रवेश करेंगे। 
 
अगरा आप गुरु के इस गोचर अपने लिए शुभ बनाना एवं गोचर का अधिकतम आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो यहां प्रस्तुत है पंच वैदिक शास्त्रोक्त कुछ उपाय - 
 
अगर बृहस्पति के राशि परिवर्तन के समस आपका चंद्रमा 1, 6 या 11वें भाव में स्थित हो, तो स्वर्णमूर्ति होता है। 2, 5 या 9वें भाव में हो तो रजतमूर्ति होता है। 3, 7, 10 में हो तो ताम्रमूर्ति होता है, और 4, 8, 12 भावस्थ हो तो लौहमूर्ति होता है। 
 
 
स्वर्णमूर्ति : सभी प्रकार के सुखों को देने वाला होता है - यह फल कर्क, कन्या और कुम्भ चंद्र्राशि वालों को नसीब होगा। 
रजतमूर्ति : सुख-सौभाग्य देने वाला होता है - यह फल मिथुन, वृश्चिक और मीन चंद्र्राशि वालों को नसीब होगा। ताम्रमूर्ति : मध्यम फल देने वाला होता है - यह फल वृषभ, तुला और मकर चंद्र्राशि वालों को मिलेगा।
लौहमूर्ति : - यह फल मेष, सिंह और धनु चंद्र्राशि वालों के लिए है। 
 
 
विशेष योग - गुरु चांडाल दोष का निवारण के लिए विशेष बन रहा है। इस दिन गुरु ग्रह का राशि परिवर्तन भी गुरुवार के दिन ही हो रहा है और साथ में इस दिन राहु ग्रह का नक्षत्र स्वाति योग भी बन रहा है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु चांडाल योग बन रहा है वे इस दिन विधान कर सकते हैं और जिन जातकों की कुंडली मे गोचर गुरु ग्रह का भ्रमण 4,6,8,12 में हो रहा है, वो भी पीली पूजन कर सकते हैं। 
 
  • पीली पूजन में पीला वस्त्र, 5 हल्दी की गांठ, 5 पीले फूल, चने की दाल गुड़ रखकर समर्पित करें।
  • गाय को चारा खिलाएं पूर्व जन्म किए गए पापकृत के लिए क्षमा मांगें। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

उज्जैन का प्रसिद्ध हरसिद्धि मंदिर जहां राजा विक्रमादित्य ने 11 बार दी थी अपने सिर की बलि