मंगल शुभ है तो राजनीति में अच्छा वक्ता बन सकते हैं

श्री डिगंबर महाले
नमस्कार मित्रों,
 
आज हम थोड़ा हटके विषय पर चर्चा करेंगे। हमारे देश में राजनीति के प्रभाव की चर्चा हर क्षेत्र में होती है। हम मानते हैं कि व्यक्ति अपने कार्य और व्यक्तित्व द्वारा राजनीति में अवसर प्राप्त करता है। राजकीय पक्ष में अपना प्रभाव सिद्ध करने के पश्चात किसी अधिकार के पद पर पक्षश्रेष्ठी द्वारा नियुक्त होता है या फिर चुनावी रणनीति से जीतकर नेता बन जाता है।
 
हमारे देश में 3 स्तर की राजनीति हैं। हम अपने गांव-शहर-जिला से ग्राम पंचायत, पालिका, महापालिका या फिर जिला पंचायत से जुड़े होते हैं। हम राज्य की विधानसभा और देश की सर्वोच्च लोकसभा के लिए भी उम्मीदवार हो सकते हैं। इस प्रकार से हमें राजनीति में प्रभाव सिद्ध करने के 3 स्तर प्राप्त होते हैं। व्यक्ति अपने कार्य, गुण, संपर्क से राजनीति में आगे बढ़ता है किंतु राजनीति में हमेशा सफलता नहीं पा सकता। राजनीति वैसे भी अविश्वास का खेल है।
 
अगर हम सफल राजनीति करना चाहते हैं तो हमारे कार्य, गुण और संपर्क के साथ हमारी कुंडली में स्थापित ग्रह दशा और उनके प्रभाव को समझना जरूरी है। हर सफलता केवल परिश्रम और व्यक्तित्व से नहीं मिलती। कभी-कभार हमारे कुंडली स्थित ग्रहों के फल को जान लेना उपयुक्त होता है। इस चर्चा का विषय यहीं से प्रारंभ होता है।
 
राजनीति में कार्यरत हर व्यक्ति अपनी पार्टी का सेनापति होने का अवसर ढूंढता है। सेनापति माने किसी पद का नेतृत्व करना। आगे बढ़कर पार्टी का संचालन करना। अब विषय नेतृत्व का है तो हमें देवों के सेनापति मंगल ग्रह देवता की कृपा द्वारा प्राप्त होने वाले फल और प्रभाव को जानना जरूरी है।
 
राजनीति गांव, शहर, प्रदेश या देश की हो, वहां पर प्रवेश या सफलता के लिए फल ज्योतिष को जानना जरूरी होता है। अन्य व्यवसायों की तरह ही राजनीति में सफलता या विफलता के लिए ग्रहों का प्रभाव काफी हद तक असर डालता है। राजनीति में सफल होने के लिए हस्तरेखा और कुंङली में कुछ खास योग होना जरूरी होता है।

राजनीति में रोज लाखों की संख्या में कार्यकर्ता काम करने हैं। दिन-रात पार्टी और समाज में अपने अस्तित्व को निर्माण करने में जुटे हैं। राजनीति का प्रवेश द्वार समाजसेवा को माना गया है। किंतु 24 घंटे और 365 दिन समाजसेवा में जुटा हर कोई व्यक्ति राजनेता नहीं बनता। सफल समाजसेवा होने का मतलब राजनेता होना नहीं। 
 
फिर हमारे सामने सवाल खड़ा होता है कि राजनीति में सफलता या अपने प्रभाव को बढ़़ाने का मार्ग क्या है? इस विषय पर कई महानुभावों ने लेखन किया है। पंडित दिनेश भारद्वाज के अनुसार कुंडली में राजनीतिक सफलता का योग होना अनिवार्य है। इसी कारण से कुंडली में ग्रहों की अनुकूलता और योग के प्रभाव को देखा जाता है। नेतागिरी या राजनीति के लिए आवश्यक ग्रह राहू, शनि, सूर्य और मंगल हैं। राहू को सभी ग्रहों में नीतिकारक ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इसका प्रभाव राजनीति के घर पर होना चाहिए।
 
जो लोग सफल राजनेता हैं, उनकी कुंडली में राहू का संबंध छठे, सातवें, दसवें और ग्यारहवें घर से देखा जाता है। ज्योतिष में कुंडली के दसवें घर को राजनीति का घर माना गया है। सत्ता में भाग लेने को दशमेश या दशम भाव में उच्च ग्रह का बैठा होना जरूरी होता है। इसके साथ गुरु नवम् घर में शुभ प्रभाव की स्थिति में होना चाहिए।
 
दशम घर या दशमेश का संबंध सप्तम घर से होने पर व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। कुंडली में छठे घर को सेवा का घर कहते हैं। व्यक्ति में सेवा भाव होने के लिए इस घर से दशमेश का संबंध होना चाहिए। राहु को सभी ग्रहों में नीतिकारक ग्रह का दर्जा दिया गया है। इसका प्रभाव राजनीति के घर से होना चाहिए। सूर्य को भी राज्यकारक ग्रह की उपाधि दी गई है। सूर्य का दशम घर में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो व राहु का छठे घर, दसवें घर या ग्यारहवें घर से संबंध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है। इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्‍छा वक्ता बनता है।
 
शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाए और इसी दसवें घर में मंगल भी स्थित हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिए काम करने के लिए राजनीति में आता है। अधिकांश राजनीतिज्ञ अच्‍छे वक्ता होते हैं और जनता को अपनी बातों से प्रभावित करते हैं। इसका सीधा अर्थ मानें तो राजनीति में अच्छा वकता होना यह मंगल ग्रह देवता का प्रभाव दर्शाता है।
 
सूर्य, चंद्र, बुध एवं गुरु धनभाव में हो, छठे भाव में मंगल ग्यारहवें घर में शनि, बारहवें घर में राहु और छठे घर में केतु हो तो ऐसे व्यक्ति को राजनीति विरासत में मिलती है। यह योग व्यक्ति को लंबे समय तक शासन में रखता है। शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाए और इसी दसवें घर में मंगल स्थित हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिए काम करने के लिए राजनीति में आता है। नेतृत्व के लिए सिंह लग्न अच्‍छा समझा जाता है।
 
सूर्य को भी राज्यकारक ग्रह की उपाधि दी गई है। सूर्य दशम घर में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो, राहु को 6ठे घर, 10वें घर व 11वें घर से संबंध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है। इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है।
 
फल ज्योतिष के अभ्यासक तथा तज्ञ मार्गदर्शकों ने ग्रहों के उपरोक्त‍ स्थिति का विवेचन अपने लेखन में किया है। इसका महत्वपूर्ण तर्क यही है कि मंगल ग्रह देवता जिसे प्रभाव से देवों की सेना के सेनापति हैं, वही कारणोंसे भी मनुष्य भी अपने प्रभाव के क्षेत्र में आगे बढ़ता है और नेतृत्व करता है। अब देखें मंगल ग्रहों में सेनापति हैं। मंगल ग्रह देवता शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम के स्वामी हैं। मंगल ग्रह देवता का मुख्‍य तत्व अग्नि तत्व है और इसका मुख्य रंग लाल है। नेतृत्व करने के लिए इन सभी गुण नेता बनने के इच्छुक व्यक्ति में होना जरूरी है।
 
कुंडली में मंगल का प्रभाव या कुंडली मंगली होने का विशेष गुण यह होता है कि मंगली कुंडली वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा से निभाता है। कठिन से कठिन कार्य वह समय से पूर्व ही कर लेता है। नेतृत्व की क्षमता उसमें जन्मजात होती है। ये लोग जल्दी किसी से घुलते-मिलते नहीं, परंतु जब मिलते हैं तो पूर्णत: संबंध को निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी होने से इनके स्वभाव में क्रोध पाया जाता है, परंतु ये बहुत दयालु, क्षमा करने वाले तथा मानवतावादी होते हैं। गलत के आगे झुकना इनको पसंद नहीं होता और खुद भी गलती नहीं करते। ये लोग उच्च पद, व्यवसायी, अभिभाषक, तांत्रिक, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर सभी क्षेत्रों में यह विशेष योग्यता प्राप्त करते हैं।
 
इस विवेचन से हम अंतिम निष्कर्ष पर आते हैं कि अगर हम राजनीति में काम कर रहे हैं तो हमें हमारी कुंडली में स्थित मंगल का स्थान और उसके प्रभाव को जानना जरूरी है। इतना ही नहीं, मंगल ग्रह देवता के अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव को किसी Expert द्वारा समझना जरूरी है।
 
जय मंगल भगवान

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी पर इस बार जानिए पितृदोष से मुक्ति के 5 अचूक उपाय

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह पूजा की विधि स्टेप बाय स्टेप में, 25 काम की बातें भी जानिए

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों करते हैं दीपदान, जानिए इसके 12 फायदे

सभी देखें

नवीनतम

09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

09 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

ज्योतिष की नजर में क्यों हैं 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Akshay Amla Navami 2024: अक्षय नवमी कब है? जानें पौराणिक महत्व

Amla Navami 2024: कैसे की जाती है आंवला नवमी पर पूजा?

अगला लेख
More