सन् 2018 का साल मंगल प्रधान है। मंगल पुरुष प्रधान ग्रह है। अत: स्त्रियों के प्रति बढ़ते अत्याचार कम नहीं होने के आसार हैं। स्त्री का कारक शुक्र अग्नितत्व की राशि धनु में वर्षारंभ में सूर्य, शनि के साथ है। सूर्य के साथ शुक्र अस्त भी है, जो बलवान न होकर बलहीन है जिसका प्रभाव नगण्य है। शनि के साथ शुक्र की स्थिति भी ज्यादा अनुकूल नहीं रहती। शुक्र, शनि की युति सेक्स गतिविधियों के बढ़ने व स्त्रियों के प्रति अनाचार का प्रतीक है।
महिला आरक्षण बिल भी कई सालों से लंबित पड़ा है और उसके पास होने के आसार इस वर्ष कम ही हैं। महिला सशक्तिकरण हेतु नेतागण भी भाषणबाजी के अलावा कुछ करते नहीं दिखाई देते, न ही दुष्कृत्य संबंधी सख्त कानून बनने के आसार हैं। इसका कारण गुरु है, जो न्याय का कारक ग्रह है, लेकिन इस साल शुक्र की राशि तुला के अधीन है। यह स्थिति 11 अक्टूबर 2018 तक तुला में है फिर 12 अक्टूबर को वृश्चिक राशि पर जाने से महिलाओं के प्रति कुछ आशाजनक बात बन सकती है। अभी गुरु, मंगल-शुक्र की राशि में विराजमान है, जो स्त्री पक्ष के लिए ठीक नहीं है।