मानसिक रूप से मजबूत बनने के लिए आजमाएं योग के मात्र 3 उपाय

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मानसिक रूप से मजबूत होने के लिए आपका शरीर भी योगानुसार मजबूत और स्वस्थ होना चाहिए, क्योंकि कई लोगों के शरीर स्वस्थ और मजबूत होते हैं परंतु वे मानसिक रूप से मजबूत नहीं होते हैं। अखाड़े या जिम में की जाने वाली कसरत से शरीर मजबूत जरूर होता है लेकिन मन और मस्तिष्क वैसा ही रहता है। योग आआपके मन और मस्तिष्‍क को मजबूत करके मानसिक रूप से आपको शक्तिशाली बनाता है।
 
 
तीन उपाय : सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान। सूर्य नमस्कार जहां शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनता है वहीं प्राणायाम मन और मस्तिष्क को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। दूसरी ओर ध्यान आपके मन और मस्तिष्‍क को शांत और रचनात्मक बनाकर आपके विचारों को परिष्कृत करता है।
 
 
1. मस्तिष्क को सुदृढ़ करने का पहला चरण योगासन : 
 
- नियमित योग हमारी हड्ड़ियों को फिर से लचकदार बनाकर लंबे समय तक उनके कैल्शियम के क्षरण को रोकता है।
 
- योगासन का शरीर लचीला और सॉफ्ट होता है। जब स्फूर्ती दिखाने का मौका होता है तो यह शरीर एकदम से सक्रिय होने की क्षमता रखता है।
 
- इसे अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता नहीं होती और यह सभी तरह के रोग से बचने की क्षमता रखता है।
 
- लगातार योग करने के बाद कुछ माह योग छोड़ भी देते हैं तो इससे शरीर में किसी भी प्रकार का ढलाव नहीं आता और हाथ-पैर में दर्द भी नहीं होता। जैसा कि जिम की कसरत या अखाड़े की करसरत से शरीर में ढलाव आ जाता है।
 
- यदि आहार नियम का पालन करते हुए लगातार सूर्य नमस्कार के साथ आप योग के प्रमुख आसन करते रहते हैं तो 4 माह बाद आपका शरीर एकदम लचीला होकर स्वस्थ हो जाएगा। 
 
- आप हरदम एकदम तरो-ताजा और खुद को युवा महसूस करेंगे। योगासनों के नियमित अभ्यास से मेरूदंड सुदृढ़ बनता है जिससे शिराओं और धमनियों को आराम मिलता है। शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं। यही मस्तिष्क को सुदृढ़ करने का प्रारंभिक चरण है। 
2. मस्तिष्क को सुदृढ़ करने दूसरा चरण प्राणायाम :
 
- प्राणायाम से मस्तिष्क की कार्य क्षमता और मजबूती बढ़ती है प्राणायाम से क्योंकि इससे मस्तिष्क में ऑक्सिजन का लेवल बढ़ जाता है।
 
- प्राणायाम करते रहने से मन में कभी भी उदासी, खिन्नता और क्रोध नहीं रहता है। मन हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है जिसके चलते आपके आसपास एक खुशनुमा माहौल बन जाता है। 
 
- आप जीवन में किसी भी विपरीत परिस्थिति से हताश या निराश नहीं होंगे। मस्तिष्क में किसी भी प्रकार का द्वंद्व और विकार नहीं रहता है। 
 
- व्यक्ति की सोच बहुत ही विस्तृत होकर परिष्कृत हो जाती है। परिष्कृत का अर्थ साफ-सुथरी व स्पष्ट। ऐसे में व्यक्ति की बुद्धि बहुत तीक्ष्ण हो जाती है तथा वह जो भी बोलता है, सोच-समझकर ही बोलता है। भावनाओं में बहकर नहीं बोलता है।
 
- यदि किसी भी प्रकार का मानसिक रोग है तो वह मिट जाएगा, जैसे चिंता, घबराहट, बेचैनी, अवसाद, शोक, शंकालु प्रवृत्ति, नकारात्मकता, द्वंद्व या भ्रम आदि।
3. मस्तिष्क को सुदृढ़ करने तीसरा चरण प्राणायाम :
 
- ध्यान से सर्वप्रथम सभी तरह की अनावश्यक मानसिक गतिविधि रूकने लगती है।
 
- ध्यान मन और मस्तिष्क को भरपूर ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है। चिंता और चिंतन से उपजे रोगों का खात्मा होगा।
 
- इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। शरीर भी स्थित होकर रोग से लड़ने की क्षमता प्राप्त करने लगता है।
 
- ध्यान से श्वास-प्रश्वास में सुधार होने से किसी भी तरह के दुख: के मामले में हम आवश्यकता से अधिक चिंता नहीं करते। हमारी भावनाएं श्वास-प्रश्वास से संचालित होते हैं। श्वास-प्रश्वास के सही होने से भावनाएं भी नियंत्रित हो जाती है।
 
- प्रतिदिन तीन माह तक सिर्फ 10 मिनट का ध्यान करें। आपके मस्तिष्क में परिवर्तन होंगे और आप किसी भी समस्या को पहले की अपेक्षा सकारात्मक तरीके से लेंगे। मात्र तीन माह में हर तरह के रोग को रोककर शोक को मिटाने की क्षमता है ध्यान में।  
 
- ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती है। आत्मिक शक्ति से मानसिक शांति की अनुभूति होती है। मानसिक शांति से शरीर स्वस्थ अनुभव करता है। ध्यान के द्वारा हमारी उर्जा केंद्रित होती है। उर्जा केंद्रित होने से मन और शरीर में शक्ति का संचार होता है एवं आत्मिक बल मिलता है। 
 
- ध्यान से विजन पॉवर बढ़ता है तथा व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। मानसिक क्षमता बढ़ने के कारण सफलता के बारे में सोचने मात्र से ही सफलता आपके नजदीक आने लगेगी। 
 
- ध्यान से जहां शुरुआत में मन और मस्तिष्क को विश्राम और नई उर्जा मिलती है वहीं शरीर इस ऊर्जा से स्वयं को लाभांवित कर लेता है। ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति का संचार होता है। शरीर में प्राण शक्ति बढ़ने से आप स्वस्थ अनुभव महसूस करते हैं।
 
- ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता है। शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता का विकास होता है, जोकि किसी भी प्रकार की बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण है। ध्यान से शरीर में स्थिरता बढ़ती है। यह स्थिरता शरीर को मजबूत करती है।
 
नोट : एक स्वस्थ मस्तिष्क ही खुशहाल जीवन और उज्ज्वल भविष्य की रचना कर सकता है। योग से जहां शरीर की ऊर्जा जागृत होती है, वहीं हमारे मस्तिष्क के अंतरिम भाग में छिपी रहस्यमय शक्तियों का उदय होता है। जीवन में सफलता के लिए शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और मस्तिष्क की शक्ति की जरूरत होती है। यह सिर्फ योग से ही मिल सकती है, अन्य किसी कसरत से नहीं। योग करते रहने का प्रभाव यह होता है कि शरीर, मन और मस्तिष्क के ऊर्जावान बनने के साथ ही आपकी सोच बदलती है। सोच के बदलने से आपका जीवन भी बदलने लगता है। योग से सकारात्मक सोच का विकास होता है। आप चाहें तो ध्यान को भी अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाकर मस्तिष्क को और भी मजबूत कर सकते हैं।

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