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पुरुषों को क्यों नहीं पसंद महिलाओं का सेल्फी लेना

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अधिकतर पुरुषों का कहना है कि महिलाओं का सेल्फी लेना किसी हमले से भी ज़्यादा घातक होता है। असल में देखा जाए तो सेल्फी का सिलसिला 2010 से चला आ रहा है। किशोरियों और युवतियों में सेल्फी लेने और उन्हें तुरंत सोशल मीडिया पर अपलोड करने का क्रेज सबसे ज्यादा नज़र आता है। 2014 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक 23 उम्र से अधिक उम्र की महिलाएं ज़्यादा सेल्फी लेती हैं।

आमतौर पर लोगों का यही सोचना है कि वे कितनी भी सेल्फी लें, यह उनकी मर्ज़ी है, भला किसी और को क्यों आपत्ति होगी? उन्हें लगता है उनका सेल्फी लेना किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता तो इसमें आखिर क्या बुराई है। यह ज़रूरी नहीं है कि हर इंसान सेल्फी प्रेमी हो, कई बार आपकी इस सेल्फी की आदत से लोग परेशान भी होने लगते हैं और चिड़चिड़ाना भी शुरू कर देते हैं।

ज़्यादा सेल्फी लेने वाली महिलाएं अपने आप को 'जब वी मेट' की  करीना कपूर भी समझती है और अपने आप से कहती है कि 'मैं खुद की फेवरेट हूं'। पुरुषों को तो ये लगता है कि उनकी महिला उनसे ज़्यादा खुद से प्रेम करती है और अपनी ही दुनिया में खोई हुई है। आसपास के वातावरण से उन्हें कोई मतलब नहीं रह जाता। बस मतलब है तो केवल अपनी खूबसूरती सोशल मीडिया पर दर्शाने से। वहीं दूसरी ओर महिलाएं कहती है कि उन्हें शुरू से कहा गया है कि उनकी सेल्फ वैल्यू उनकी प्रेजेंस से ही होती है। अब इसके बाद वे अपनी सेल्फीज़ लेकर अपनी उपस्थिति जाहिर करती है तो पुरुषों द्वारा उन्हें क्यों व्यर्थ और घमंडी कहा जाता है।

हमारी संस्कृति में शुरू से ही महिलाओं को सुन्दर दिखने और हमेशा सज- संवर कर रहने के लिए कहा गया है। महिलाओं द्वारा नहीं बल्कि समाज द्वारा ही ये पहल हुई कि वे तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स का उपयोग कर अपना रूप निखारें, फिर क्यों यह सेल्फी लेने पर उन्हें घमंडी और आत्ममुग्ध कहा जाता है, क्यों कहा जाता है कि वे अपने रूप का दिखावा दुनिया भर में कर रही है, इसमें क्यों इतना अचरज और आपत्ति है सबको? सुन्दर महिलाओं की वाह वाह तो हमेशा से होती आई है और हर युग में होगी।

पुरुषों का सिर्फ इतना कहना है कि वे पागल नहीं है जो महिलाओं की सेल्फी लेनी की आदत से बेवजह चिड़े, उन्हें दिक्कत है तो सिर्फ इस बात से कि वे अपने रूप का प्रदर्शन पूरी दुनिया के आगे ना करें। सेल्फी लेते हुए महिलाएं बेकाबू हो जाती हैं। यहां तक कि वे आसपास वालों को भी नज़रअंदाज़ करने लगती है फिर वो चाहे उनके घरवाले हो, बच्चे हो या बॉयफ्रेंड। इन सेल्फी का गलत तरीके से यूज भी हो सकता है। महिलाओं की यह हरकत हमारी संस्कृति और सभ्यता के लिए भी घातक है।
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इस बात पर बहुत-सी सेल्फी क्वींस का कहना है यह उनकी मर्ज़ी है वह कितनी भी सेल्फी लें और उसे कही भी पोस्ट करें, मर्दों को इससे कोई अटंशन नहीं मिलता इसलिए शायद वह इसके खिलाफ है। इंस्टाग्राम पर अगर हमारे फॉलोअर्स ज्यादा है तो हम इससे लाखों कमा सकते हैं।महिलाएं कहती है यह  काम तो पुरुष भी कर सकते हैं, वे सोशल मीडिया पर सेल्फी पोस्ट कर अपनी स्मार्टनेस और डैशिंग लुक का प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्हें किसने रोका है???
 
प्रस्तुति : खुशबू जैसानी

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