Mysterious design: भारतीय संस्कृति, ज्योतिष एवं वस्तु परंपरा में रंगोली और मांडना का बहुत महत्व है। इसी में से मांडना जिसे अल्पना भी कहते हैं, ये एक बहुत ही प्राचीन परंपरा से आता है। इस आर्ट को ज़मीन पर मिट्टी या गोबर से लीप कर बनाया जाता है। इसमें चूना और गेरूए का उपयोग भी किया जाता है। मांडना में कई तरह के चित्र और ज्यामितीय डिजाइन होती है। यह डिज़ाइन भी काफी सुंदर है। आप आसानी से अपने आंगन में सिर्फ कुछ ही मिनट में इस डिज़ाइन को बना सकते हैं, लेकिन इन्हीं में से एक डिजाइन ऐसी है जो आपके घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी।
ये क्या है?
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सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार यह क्षेत्र कोण है जो छह चक्रों को दर्शाते हैं।
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यह पंच तत्वों का भी प्रतीक है।यह प्राचीन प्रतीक चिन्ह भी है जो सदियों से उपयोग किया जाता रहा है।
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दो उपर की ओर देखने वाले त्रिकोण, दो नीचे की ओर देखने वाले त्रिकोण और बीच में एक दूसरे को काट रहे दो त्रिकोण।
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यह बीच का त्रिकोण एक सितारे जैसा होता है जो अनाहत का प्रतीक भी है।
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इसे घर के बीचोबीच बनाएं और हर त्रिकोण के बीच के बिंदू पर एक जल का पात्र रखें और उस पात्र में एक दीया जलाकर रख लें।
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इस दिन में जलाएंगे तो यह जीवन में सेहत, सुख और शांति के साथ ही तनाव रहित जीवन देगा।
कैसे बनाएं मांडना के रंग:
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चावल या चूने को मिलाकर गेरुआ, सफेद, पीला आदि रंग बनाकर मांडना के रंग तैयार किए जाते हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में मांडना उकेरने में गेरू या हरिमिच, खड़िया या चूने का प्रयोग किया जाता है।
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गेरू या हरिमिच का प्रयोग बैकग्राउंड के रूप में जबकि विभिन्न आकृतियों और रेखाओं का खड़िया या चूने से बनाया जाता है।
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आप चाहे तो बाजार से मांडना के रंग और उन्हें बनाने के सांचे खरीदकर ला सकते हैं। यह सबसे आसान तरीका है।
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जिस तरह रंगोली को बनाने के लिए सांचे मिलते हैं उसती तरह मांडना के भी मिलते हैं।
प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी