हम अपने कुछ खास मित्रों, परिवारजनों के साथ कुछ क्षण आनंद से गुजारना चाहते हैं, उस जगह को हम घर का मुख्य कक्ष, बैठक या ड्राइंग रूम कहते हैं।
अक्सर देखने में आता है कि किसी मित्र के ड्राइंग रूम में जाने पर हमें अजीब-सा भारीपन महसूस होता है, जबकि दूसरे मित्र के ड्राइंग रूम में हल्कापन लगता है। ऐसा कई बार इसीलिए भी होता है कि वह ड्राइंग रूम शायद व्यवस्थित तरीके से ना रखा गया हो।
आइए जानें वास्तु के अनुसार कैसा होना चाहिए ड्राइंग रूम, 8 खास बातें-
* वास्तु और फेंगशुई के प्रचार के बाद से वास्तव में लोग अपने मकान के निर्माण या बना-बनाया फ्लैट खरीदते समय वास्तु आदि पर ध्यान तो देने लगे हैं, किंतु मकान में प्रवेश करने के बाद उसकी सजावट करते हुए वास्तु और फेंगशुई को प्रायः भूल जाते हैं।
* जबकि सोफा, टेबल आदि फर्नीचर का आकार, दीवारों की सजावट, चित्रों की विषय वस्तु, प्रकाश व्यवस्था आदि सब मिलकर वास्तु का प्रभाव तय करते हैं। दरवाजे के ठीक ऊपर लगा कैलेंडर या बंद पड़ी घड़ी से भी बैठक की अच्छी ऊर्जा प्रभावित हो जाती है।
* फर्नीचर खरीदी करने का तरीका अक्सर यह रहता है कि दुकान पर गए, जो पसंद आया, उठा लाए। फिर चाहे वह बैठक के अनुपात में हो, रंगों आदि से मेल खाता हो या न हो।
* ड्राइंग रूम के आकार के अनुपात से बड़ा सोफा अच्छी ऊर्जा अर्थात ची को प्रभावित करता है और भारी सोफा गृहस्वामी के अलावा आगंतुकों के लिए भी भारीपन की रचना करता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि ड्राइंग रूम के लिए फर्नीचर का चुनाव करते हुए उनके आकार का ध्यान जरूर रखें।
* ड्राइंग रूम में प्रकाश, घड़ी, कैलेंडर और तस्वीरों के चयन में भी सावधानी रखी जानी चाहिए।
* विशेष रूप से यह ध्यान रखना चाहिए कि वे तनाव बढ़ाने वाले न हों।
* बैठक से अध्ययन कक्ष की मेज तथा काम के अन्य उपकरण दिखाई देने से भी बैठक में तनाव बढ़ता है।
* जहां तक हो सके प्रयास किया जाए कि अध्ययन कक्ष, बेडरूम तथा अन्य कक्षों के भीतरी भाग बैठक से नजर न आएं।