Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

'झूठ को भी सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है': कानपुर देहात महोत्सव में बोले डॉ. कुमार विश्वास

हमें फॉलो करें 'झूठ को भी सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है': कानपुर देहात महोत्सव में बोले डॉ. कुमार विश्वास

अवनीश कुमार

, शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023 (12:27 IST)
कानपुर देहात। कानपुर देहात के ईको पार्क में कानपुर देहात महोत्सव के चौथे दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में शिरकत करने के लिए डॉ. कुमार विश्वास, कवयित्री कविता तिवारी, हास्य कवि विकास बौखल व मध्यप्रदेश के कवि गोविंद राज पहुंचे।
 
कवि सम्मेलन सरस्वती वंदना के साथ शुरू किया गया। कवि सम्मेलन की शुरुआत में ही कुमार विश्वास ने जहां कानपुर देहात के देहात के बुकनू और गुड़ के पेठे की तारीफ की, वहीं पत्रकारों व अखबार पर भी व्यंग्य किया। साथ ही साथ कुछ पुरानी दोस्ती को याद करते हुए दर्द भी बयां कर गए, बोले- 'ये संबंधों की तुरपाई है, षड्यंत्रों से मत खोलो।'
 
झूठ को भी सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है: कानपुर देहात महोत्सव में कवि सम्मेलन में पहुंचे विश्वास ने कवि सम्मेलन की शुरुआत करते हुए पत्रकारों पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि पांडाल में पत्रकार मित्र भी बैठे हैं, उनका बहुत स्वागत है।

webdunia
उन्होंने कहा कि कुछ भी हो नेहाजी, पत्रकारों को प्रसन्न रखना, क्योंकि प्रदेश और मुख्यमंत्रीजी को इनके ही माध्यम से पता चलेगा कि कार्यक्रम कैसा रहा? हमें चाय मत पिलाना, इन्हें जरूर पिलाना। अगर ये नाराज हो गए तो कल अखबारों में लिखा होगा- 'न जम पाया कार्यक्रम का रंग, रहा फीका' और अगर यह प्रश्न है तो लिखा होगा- 'खूब जमे कुमार, छाया कविताओं का जादू'। उसके बाद अखबारों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि 'लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है/ झूठ को भी सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है।'
 
मैं भी बेटों की तरह जीने का हक मांगती हूं : विश्वास ने बेटियों को लेकर कविता पढ़ते हुए कहा कि 'दिल के बहलाने का सामान न समझा जाए, मुझको भी अब इतना आसान न समझा जाए/ मैं भी बेटों की तरह जीने का हक मांगती हूं, इसको गद्दारी का ऐलान न समझा जाए। अब तो बेटे भी हो जाते हैं घर से रुखसत, सिर्फ बेटी को ही घर का मेहमान न समझा जाए।' विश्वास की इन पंक्तियों को सुनकर पंडाल में मौजूद दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजा विश्वास का उत्साहवर्द्धन किया।
 
webdunia
ये संबंधों की तुरपाई है, षड्यंत्रों से मत खोलो :  डॉ. विश्वास ने कुछ पुराने दोस्तों पर व्यंग्य करते कहा कि 'पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तौलो, ये संबंधों की तुरपाई है, षड्यंत्रों से मत खोलो/ मेरे लहजे की छेनी से गढ़े कुछ देवता तो कल, मेरे शब्दों में मरते थे वो कहते हैं मत बोलो', यह सुनते ही मंच के पंडाल में मौजूद दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं।
 
बंद हो जाएगी मेरी दुकान : डॉ. विश्वास ने मंच से अधिकारियों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि कानपुर देहात महोत्सव में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिसके चलते डर लगने लगा है। उन्होंने सीधे तौर पर नाम लेते हुए कहा कि सौम्याजी कथक कर रही हैं तो वहीं कानपुर देहात थीम सॉन्ग लिखने वाले ट्रेजरी अफसर आप कविता लिख रहे हैं। इस तरह से करेंगे तो मेरी दुकान बंद हो जाएगी। यह सुन मंच के नीचे मौजूद अधिकारी व दर्शक जमकर मुस्कुरा उठे और पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Dehradun : लाठीचार्ज के विरोध में उत्तराखंड बेरोजगार संघ का आज प्रदेशव्यापी बंद, DM ने लगाई धारा 144