भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 10 फरवरी 2023 की सुबह 9.18 बजे अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV को सफलतापूर्वक लॉन्च कर इतिहास रच दिया। स्मॉल स्टैलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV)। इसमें अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOS-07 भेजा जा रहा है। एसएसएलवी-डी2 अपने साथ तीन सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी तथा ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।
अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी। यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है। इसरो ने बताया कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।
साढ़े छ: घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं।
जानिए इसकी खास 5 बातें-
1. SSLV की लंबाई 34 मीटर है। इसका व्यास 2 मीटर है। SSLV का वजन 120 टन है।
2. एसएसएलवी 10 से 500 किलो के पेलोड्स को 500 किलोमीटर तक पहुंचा सकता है। SSLV सिर्फ 72 घंटे में तैयार हो जाता है।
3. अमेरिका का 10.2 किलोग्राम का जानुस-1 (Janus-1) सैटेलाइट भी इसमें जा रहा है।
4. भारतीय स्पेस कंपनी स्पेसकिड्स का AzaadiSAT-2 जा रहा है, जो करीब 8.7 किलोग्राम का है।
5. आजादीसैट को देश के ग्रामीण इलाकों से आने वाली 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया है। इसमें स्पेसकिड्ज के वैज्ञानिकों ने उनकी सहायता की है।