लखनऊ। कोरोना वायरस संकट के दौर में बच्चों ने भी साफ-सफाई और लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है और इसके लिए बनाई गई उनकी 'बाल सेना' नवाबों के शहर लखनऊ में चर्चा का विषय बनी हुई है।
राजधानी के पुराने लखनऊ, गोमती नगर और अलीगंज क्षेत्र में स्कूली बच्चों ने अपनी ही परिकल्पना के आधार पर 'बाल सेना' बनाई है और यह 'बाल सेना' न सिर्फ अपनी बचत का धन लोगों की मदद के लिए दे रही है बल्कि इस बीमारी से बचने के रचनात्मक उपाय भी बता रही है।
अपने-अपने घरों की छतों पर 'बाल सेना' का शाम को मजमा लगता है और एक छत से दूसरी छत तक कोरोना से बचाव के संदेश पहुंचते हैं। क्या कुछ नया टीवी पर देखा... क्या सुना... और क्या नई बात सामने आई... ये अनुभव वे आपस में साझा करते हैं।
चौक क्षेत्र के शौर्य शुक्ला ने बताया कि हमने अपनी गुल्लक का पूरा पैसा 'पूल' कर क्षेत्र में सक्रिय उन सामाजिक एवं सरकारी संगठनों को दे दिया है, जो लॉकडाउन के समय लोगों की मदद में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मेरे घर के पास झुग्गी बस्ती है और अपने घर की छत से मैं वहां के बच्चों से 'इंटरैक्ट' कर लेता हूं। मैं उन्हें बताता हूं कि मास्क लगाने के क्या फायदे हैं, हाथ को साबुन से कैसे साफ करना है और 'सोशल डिस्टेंसिंग' किस तरह की जानी है। कोरोना के खिलाफ जंग में हम भी छोटे सिपाही हैं।
कपूरथला कॉम्प्लेक्स, अलीगंज के निकट रहने वाले तेजस्वी पाठक बताते हैं कि हमने कॉमिक्स और कार्टून के एपिसोड तथा पुराने समय की कहानियों में पढ़ा कि कैसे पहले के समय में लोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और फिर तीसरे व्यक्ति से पूरे गांव या जंगल तक खबर को पहुंचाते थे। कमोबेश उसी तर्ज पर 'बाल सेना' काम कर रही है।
शौर्य के पिता जेके शुक्ला ने बताया कि बच्चों ने खुद ही मिलकर इस अवधारणा पर काम किया है तथा बच्चे आसपास के लोगों को साफ-सफाई का संदेश दे रहे हैं। वे खुद सुबह-सुबह अपने घर के सामने की सड़क साफ करते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए आसपास के बच्चों को इसके लिए प्रेरित करते हैं।
गोमती नगर विवेक खंड में सुबह का मंजर बहुत निराला होता है। बच्चे अपने स्कूल की प्रार्थना गाते-गुनगुनाते सफाई के काम में जुट जाते हैं। खास बात यह है कि सभी बच्चों के चेहरे पर मास्क होता है और सफाई के बाद वे हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करते हैं।
एक सवाल पर स्थानीय स्कूली छात्र अनुभव गुप्ता ने बताया कि आपस में सभी दोस्तों ने फोन पर बात कर इस 'आइडिया' पर काम किया है। बहरहाल बच्चों की इस सोच और कार्य की स्थानीय लोगों द्वारा काफी तारीफ हो रही है। (भाषा)