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शेरो-अदब
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न जाने किस-किस से रिश्ता होता है अदीब का
बुधवार, 7 अगस्त 2013
एक अदीब या साहित्यकार का अनजाने में ही न जाने किस-किस से रिश्ता होता है। कभी किसी की आँख में आँसू ...
देख बहारें होली की
मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ
मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत, जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे।।
तेरे माथे पर कोई, मेरा मुक़द्दर देखता
बस तेरी याद ही काफी है मुझे
अज़ीज़ अंसारी की ग़ज़ल
जो राह तेरे दर पे रुकती हो
बहुत अहम है मेरा काम नामाबर1 कर दे मैं आज देर से घर जाऊँगा ख़बर कर दे
रहिये अब ऐसी जगह चलकर
मेरा सलाम कहियो, अगर नामाबर मिले
इश़्क पे ज़ोर नहीं
नुक्ताचीं हैं ग़मे-दिल उसको सुनाये न बने , क्या बने बात, जहाँ बात बनाये न बने
इश्क़ मुझको नहीं
इश्क़ मुझको नहीं, वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
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