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UP Election 2021: रामलला मंदिर के बहाने वोट बैंक साधने की कोशिश, विपक्ष ने साधा निशाना

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हिमा अग्रवाल

, सोमवार, 6 दिसंबर 2021 (19:26 IST)
प्रयागराज। जब भी किसी परीक्षार्थी की परीक्षा नजदीक होती है या नाव डूबने का डर, तो ऐसे में वह भगवान को याद करने लगता है। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक दल भगवान को मनाने में लग गए हैं। सत्ता से लेकर विपक्षी दल ईश्वर के दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं। यही नहीं, अल्लाह और भगवान के नाम पर वोट मांगने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।

 
यूपी में विधानसभा 2022 चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर से भगवान श्रीराम को अपना खेवनहार बनाया है। प्रभु श्रीराम को याद करते हुए बीजेपी ने प्रयागराज में होर्डिंग्स लगवाए हैं। इन होर्डिंग्स में अयोध्या के रामलला मंदिर की 2 तस्वीरें इंगित हैं। पहली तस्वीर में रामलला टेंट में विराजमान दिखाई दे रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर में निर्माणाधीन राम मंदिर का मॉडल दिखाया गया है। इस होर्डिंग्स के सबसे ऊपर लिखा गया है कि फर्क समझो यानी 'पहले रामलला टेंट में रहते थे और अब बीजेपी के राज में उनके भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है।'

 
होर्डिंग्स में अंत में नीचे की तरफ बीजेपी के चुनाव निशान चिन्ह कमल के फूल बना हुआ है और उसके साथ लिखा हुआ है- 'काम दमदार, सोच ईमानदार, एक बार फिर से योगी सरकार।' रामलला मंदिर के बहाने बीजेपी के प्रचार वाले इस विवादित होर्डिंग्स को लेकर प्रयागराज में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। विपक्ष रामलला होर्डिंग को लेकर सियासी रोटी सेंक रहा है। विपक्ष का कहना है कि इस बार बीजेपी पर सुशासन और विकास का कोई मुद्दा नहीं है इसलिए रामलला मंदिर की आड़ में वोट बैंक साधने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी अपनी पुरानी रीति के मुताबिक वोटों का ध्रुवीकरण कराकर यूपी में सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रही है।
 
वहीं बीजेपी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का कहना है कि भाजपा ने भगवान राम और उनके मंदिर के लिए कितनी मेहनत की है, यह सब आम जनता को पता होना जरूरी है इसलिए इन होर्डिंग्स को लगवाया गया है। वहीं भाजपा के पदाधिकारियों का कहना है कि विपक्ष यह बताए कि उन्होंने राम मंदिर के लिए क्या किया है? भाजपा भले ही इस विवादित होर्डिंग्स को लेकर कुछ भी सफाई दें, लेकिन सच्चाई इससे इतर है, क्योंकि चुनाव से पहले प्रभु राम और उसके मंदिर को ब्रांड बनाना चुनावी कसरत ही कही जा सकती है।

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