नई दिल्ली। सरकार ने अगामी वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश करते हुए इसके मंदी से उबरकर फिर पटरी पर लौटने की उम्मीद जताई है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक विकास दर सात से 7.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान व्यक्त करते हुए कच्चे तेल की कीमतों को चिंता का मुख्य कारण बताया है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने के बाद संसद में आज पेश पहले आर्थिक सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.75 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, कृषि क्षेत्र के मुहाने पर अच्छी खबर नहीं है और खेती की विकास दर 2.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
सरकार ने आगामी वित्त वर्ष से अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताते हुए निर्यात को संभावनाओं का प्रमुख स्रोत बताया है। उसने कहा कि निजी निवेश में एक बार फिर से सुधार की उम्मीद है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं पर विशेष ध्यान देगी।
नोटबंदी और जीएसटी के बाद नए करदाताओं की संख्या 50 फीसदी बढ़ गई है। जीएसटी से मिलने वाले राजस्व में तेज बढ़ोतरी हो रही है। महंगाई को लेकर सरकार को कुछ राहत है और वित्त वर्ष 2017-18 में औसत खुदरा महंगाई छह वर्ष के न्यूनतम स्तर पर रहने की उम्मीद जताई गई है। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश इस सर्वेक्षण में वायु प्रदूषण पर भी चिंता जताई गई है। जेटली ने कहा कि वर्ष 2018-19 में भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा। (वार्ता)