Gowri habba festival: गौरी मतलब पार्वती जी और हब्बा मतलब गणेशजी यानी गौरी गणेश का पर्व। यह पर्व प्रतिर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसी दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। गौरी हब्बा का त्योहार किस प्रदेश में और क्यों मनाया जाता है?
तृतीया तिथि प्रारम्भ- सितम्बर 17, 2023 को सुबह 11:08 बजे से।
तृतीया तिथि समाप्त- सितम्बर 18, 2023 को दोपहर 12:39 बजे तक।
नोट : उदयातिथि के अनुसार यह पर्व 18 सितंबर को मनाया जाएगा।
गौरी हब्बा 2023:
गौरी हब्बा पर्व एक हिन्दू त्योहार है। गणेश चतुर्थी के एक दिन पूर्व यह कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में मनाया जाता है। इसी दिन उत्तर भारत में महिलाएं हरतालिका तीज का कठिन व्रत रखती हैं। गौरी हब्बा पर्व को महाराष्ट्र तथा अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में, हरतालिका तीज के रूप में जाना जाता है।
गौरी हब्बा देवी पार्वती के गौरी अवतार को समर्पित पर्व है। इस दिन माता पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है जो नवरात्रि में अष्टमी की देवी हैं। यह माता के गौर वर्ण का अत्यंत ही सुंदर अवतार है। इस दिन की स्वर्ण गौरी व्रत भी कहते हैं।
इस दिन हिंदू महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखकर माता गौरी की पूजा करती हैं। मान्यता के अनुसार देवी गौरी इस दिन अपने घर में आती हैं। जैसे कोई महिला अपने मायके जाती है उसी तरह। दूसरे दिन पारण के समय गणेश चतुर्थी रहती है तो उनके पुत्र गणेशजी भी घर आते हैं। गणेश जी इस तरह आते हैं जैसे माता को पुन: अपने पिता के घर ले जाने के लिए आए हो।