Teachers Day 2023: एक शिक्षक का कार्य है विद्यार्धियों को वे तमाम तरह की शिक्षा देना जो उसके जीवन में काम आए और उसकी सफलता के रास्ते खोले। परंतु आज के दौर में शिक्षक का काम महज शिक्षा देना ही नहीं रह गया है। अब उसे वे कई गैर शैक्षणिक कार्य भी करना होते हैं जिसके चलते शिक्षा अब स्कूलों से निकलकर कोचिंग क्लासेस और ऑनलाइन क्लासेस में विस्तारित होने लगी है। इस संबंध में क्या सोचते हैं शिक्षक? आओ जानते हैं कुछ शिक्षकों के विचार।
#
नीमच के एसबी जल प्राथमिक स्कूल (म.प्र.) की शिक्षिका गौरी सक्सेना का कहना है कि आज की शिक्षा टेक्नोलॉजी में जरूर एडवांस हो गई है परंतु अब बच्चों में संस्कार की कमी हो चली है। टेक्नोलॉजी के चलते बच्चों का खेल और पढ़ाई के प्रति नजरिया बदल गया है। वे अब सारे दिन मोबाइल पर ही गेम्स खेलने और अदर वीडियो देखने में लगे रहते हैं। उनकी सोशल लाइफ पर इसका असर हो रहा है। अब वह फिजिकल गेम्स में उतना पार्टिसिपेट नहीं करता जिसके चलते उसकी सेहत पर भी इसका असर होने लगा है। बच्चों में सेहत को लेकर कई समस्याएं देखी जा सकती हैं। आजकल टीचरों को पढ़ाने के साथ साथ बच्चों की अन्य बातों पर भी ध्यान रखना होता है।
नीमच के एसबी जल प्राथमिक स्कूल (म.प्र.) की शिक्षिका स्वाति शर्मा का कहना है कि शिक्षकों की समस्या आज के इस टेक्नोलॉजी के जमाने में शिक्षकों को शिक्षा के लिए कई साधन उपलब्ध है परंतु शिक्षकों को पालकों की तरफ से बहुत सारी समस्यों का सामना करना पड़ता है जैसे यदि छात्र कोई गलती करता है और शिक्षक डांटता है तो पालक सारा दोष शिक्षक पर ही थोप देते हैं। उनको अपना बच्चा टॉपर भी चाहिए पर उनके लाडलो को डांटो मत, जबकि वे खुद अपने बच्चों को डांटते रहते हैं। ऐसे में कुछ टीचर्स को कई बार बच्चों की गलतियों को अनदेखा करना पड़ता है।
#
कभी एयरफोर्स में कार्यरत रहे वर्तमान में राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी संघ के महामंत्री, स्कॉउट और स्पोर्ट की एक्टिविटि में सक्रिय एवं शासकीय नूतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवास के मैथेमेटिक्स के शिक्षक श्री विष्णु प्रसाद वर्मा का कहना है कि यह सही है कि बहुत से शिक्षकों के मन में यह होगा कि शिक्षकों को केवल शिक्षण का कार्य ही दिया जाए ताकि वे छात्रों की पढ़ाई और जीवनोपयोगी शिक्षा पर फोकस करके उनके जीवन को बेहतर बना सके। यदि शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य या गैर राष्ट्रीय कार्य में ज्यादा इन्वॉल्व रहेगा तो निश्चित ही इसका छात्रों की शिक्षा पर असर होगा। श्री विष्णु प्रसाद वर्माजी का कहना है कि आजकल शिक्षक का काम बहुत कठिन हो चला है। उसे कई विषम परिस्थितियों में कार्य करना पड़ता है परंतु मेरा मानना है कि समस्याओं की बजाए सकारात्मकता और समाधान पर सोचा जाना चाहिए।
#
श्री हरि पब्लिक स्कूल इंदौर की वरिष्ठ शिक्षिका निर्मला जायसवाल का कहना है कि मैं 2005 से ही शिक्षा के क्षेत्र में हूं। तब से अब तक शिक्षा में बड़ा परिवर्तन हो चुका है। यह परिवर्तन स्वयं में, अभिभावकों में और निश्चित रूप से विद्यार्थियों में भी यह स्पष्ट देखा जा सकता है। आज के बच्चों की सबसे बड़ी समस्या है उनमें आया Ego अर्थात 'अहम्' जो हम शिक्षकों को लिए एक चुनौती बनता जा रहा है। यह अहम उनमें कहां से आया? यह सोचने वाली बात है। 16-17 वर्ष के लड़के 'हैंडल विथ केयर' हो गए हैं।
मुझे याद है कि हमने अपने विद्यार्थी जीवन में कभी ऐसा देखा और न सुना। आज के बच्चों को दो शब्द कह दो तो....'मैडम या सर ने मेरी इंसल्ट कर दी।'' जबकि हमारे समय में हमें यदि हमारे टीचर हमें कुछ कह देते थे तो हमें लगता था कि सर या मैडम ने हमें कोई सीख दी होगी। उसी का परिणाम है कि आज में एक अनुशासित और संतुलित जीवन जी पा रही हूं। परंतु आजकल के बच्चों को यह सीख नहीं इंसल्ट लगती है।
मेरा इन विद्यार्थियों से यही आग्रह है कि आपके आगे पूरा जीवन है। बहुत रास्ते आपको पार करना हैं। शिक्षक आपको गलत रास्ते पर नहीं जाने देंगे। याद रखिये तपकर ही सोना कुंदन बनता है। मैं इस चुनौती को स्वीकार करती हूं और बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए मैं हर समय प्रयासरत रहती हूं।
#
डीसीएम स्कूल, इंदौर की शिक्षिका प्रतिभा सिंह का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने के अलावा भी अदर एक्टिविटी कराना जरूरी है जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो। इसके लिए शिक्षकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि हर बच्चा हर कार्य में एक्टिव नहीं रहता है। बच्चों की कमियां देखकर उन्हें कई तरह की मांटेसरी वाली एक्टिविटी कराई जाती है। इससे उनका मानसिक विकास होता है। हमारी प्रिंसिपल मैडम रिचा नावले और सुप्रिया जायसवाल और डायरेक्टर सर इसके लिए हमारा बहुत सपोर्ट करते हैं। पेरेंट्स के साथ बातचीत करके भी हम बच्चों की समस्याओं को हल करते हैं।
श्री गुजराती समाज एएमएन इंग्लिश मीडियम स्कूल, इंदौर कि वरिष्ठ शिक्षिका श्रीमती राजश्री किलेदार का कहना है कि कई माता-पिता नवीनतम शिक्षण पद्धति को नहीं जानते हैं और उनके कंप्यूटर साक्षर नहीं होने के कारण परेशानियां खड़ी होती है। छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण भी शिक्षक सभी विद्यार्थियों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं दे पाते हैं। अधिकतर छात्र मोबाइल का अधिक उपयोग करते हैं जिसके चलते उनकी लिखने और पढ़ने की क्षमता धीरे धीरे कम होती जा रही है। इस सभी समस्याओं के चलते शिक्षकों का कार्य और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो चला है।