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बिकवाली के दबाव में सेंसेक्स 433 अंक लुढ़का, निफ्टी भी गिरा

हमें फॉलो करें बिकवाली के दबाव में सेंसेक्स 433 अंक लुढ़का, निफ्टी भी गिरा
, गुरुवार, 11 नवंबर 2021 (18:00 IST)
मुंबई। शेयर बाजारों के दोनों प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स एवं निफ्टी बैंकिंग, वित्तीय एवं ढांचागत फर्मों के शेयरों में हुई जोरदार बिकवाली और वैश्विक बाजार में बढ़ती मौद्रिक चिंताओं और विदेशी फंडों की निकासी के बीच लगातार तीसरे दिन बृहस्पतिवार को गिरावट के साथ बंद हुए। इक्विटी बेंचमार्क सेंसेक्स 433.13 अंक यानी 0.72 फीसदी की गिरावट के साथ 59,919.69 पर बंद हुआ। इसी तरह निफ्टी 143.60 अंक यानी 0.80 फीसदी की गिरावट के साथ 17,873.60 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स में शामिल 30 में से 24 कंपनियों के शेयर नुकसान में रहे। सेंसेक्स कारोबार की शुरुआत में ही नकारात्मक स्तर पर खुला और दिन में 59,656.26 अंक के निचले स्तर तक आ गया था। इस पर आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नकारात्मक प्रदर्शन का असर देखा गया।

दूसरी तरफ 50 कंपनियों के प्रदर्शन पर आधारित निफ्टी में 41 कंपनियां कारोबार के अंत में घाटे पर रहीं। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसंधान प्रमुख विनोद नायर ने बाजार के इस नकारात्मक प्रदर्शन के लिए वैश्विक मुद्रास्फीति दबाव को जिम्मेदार ठहराया। नायर ने कहा, अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े उम्मीद से खराब रहने से घरेलू बाजार में कारोबार पर असर देखा गया।

अमेरिका का मुद्रास्फीति आंकड़ा सालाना आधार पर 6.2 फीसदी रहा है जो पिछले 30 वर्षों का उच्च स्तर है। ऐसी स्थिति में विश्लेषक उम्मीद से पहले ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका जता रहे हैं। इस बीच अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल बढ़ गया।

नायर के मुताबिक, बढ़ते मुद्रास्फीति दबावों के साथ ब्याज दर में जल्द बढ़ोतरी की संभावना से घरेलू बाजार सतर्क हो गया है। ऐसे संकेतक विदेशी निवेशकों को भारत जैसे उभरते बाजारों से निकासी तेज करने के लिए उकसाते हैं।

सेंसेक्स के शेयरों में एसबीआई में सबसे ज्यादा 2.83 फीसदी की गिरावट रही। आईसीआईसीआई के शेयर 1.09 फीसदी और एचडीएफसी के शेयर 1.31 फीसदी के नुकसान में रहे। वित्तीय फर्मों में बजाज फिनसर्व और बजाज फाइनेंस और निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक एवं एक्सिस बैंक में भी गिरावट का रुख रहा। टेक महिंद्रा, सन फार्मा, एशियन पेंट्स, पावरग्रिड और एचयूएल को भी नुकसान उठाना पड़ा।

दूसरी तरफ टाइटन, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस सबसे ज्यादा फायदे में रहे। बीएसई के रियलटी, स्वास्थ्य देखभाल, बैंकेक्स, वित्त, दूरसंचार और ऑटो सूचकांक 2.51 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, ऊर्जा, धातु, यूटिलिटी और ऊर्जा सूचकांक 0.68 फीसदी की बढ़त पर रहे।

व्यापक मिडकैप एवं स्मालकैप सूचकांक 0.64 फीसदी की गिरावट पर रहे। एलकेपी सिक्योरिटीज के अनुसंधान प्रमुख एस रंगनाथन कहते हैं, अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ने से वैश्विक संकेतों के कमजोर होने से बाजार परेशान रहा। दरअसल इसके पीछे फेड रिजर्व की भूमिका होने का डर दलाल स्ट्रीट पर हावी हो गया। घरेलू स्तर पर अंधिकांश क्षेत्रों के सूचकांक नकारात्मक रहे लेकिन ऐसे कमजोर दिवस पर भी सकारात्मक आय वाली कंपनियां फायदे में रहीं।

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत विषयवस्तु में कारोबार के बड़े मौकों को देखते हुए रक्षा क्षेत्र से जुड़े शेयरों में निवेशकों का सकारात्मक रुख देखा गया। आनंद राठी फर्म के इक्विटी अनुसंधान प्रमुख नरेंद्र सोलंकी ने कहा, भारतीय बाजार एशियाई बाजारों के मिलेजुले रुख और अमेरिका में मुद्रास्फीति आंकड़ों के उम्मीद से ज्यादा रहने से नकारात्मक धारणा के साथ खुले थे। उन्होंने कहा कि विदेशी फंडों की निकासी बने रहने से भी कारोबारी धारणा पर असर पड़ा।

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) इस महीने अब तक 5,515 करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके हैं। एफआईआई ने बुधवार को भी 469.50 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों की बिक्री की थी। बाजार में गिरावट का रुख निफ्टी के 18,000 से नीचे आ जाने के बाद थोड़ा थमा।

कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च के तकनीकी शोध प्रुख विजय धनोतिया ने कहा, बाजार को लगता है कि निफ्टी का 17,600-18,000 का स्तर एक समर्थन क्षेत्र होगा। अगर बाजार इन स्तरों को नहीं कायम रख पाता है तो इसमें वापसी और तेजी देखने को मिल सकती है। तकनीकी संकेतक बाजार में अस्थिरता का इशारा करते हैं। एशिया के अन्य बाजारों में शंघाई, ह़ांगकांग और टोक्यो में सूचकांक हरे निशान के साथ बंद हुए जबकि सोल में बाजार नुकसान में रहा।

यूरोप में प्रमुख सूचकांक दोपहर के सत्र में सकारात्मक स्तर पर बने हुए थे। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.63 फीसदी की बढ़त के साथ 83.1 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। अमेरिकी डॉलर वैश्विक बाजारों में 16 महीनों के उच्च स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़ों ने शेयर एवं बॉन्ड की मांग कम कर दी।(भाषा) 

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