सोनीपत: भारत के एलीट पहलवानों और कोचों को भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के सोनीपत केंद्र में कुश्ती हॉल के मरम्मत में देरी के कारण तेज गर्मी में ट्रेनिंग करने के लिये बाध्य होना पड़ रहा है जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ चोटों का खतरा बना हुआ है।
करीब 70 पुरूष पहलवान इस हॉल में पसीना बहा रहे हैं जिसमें देश के शीर्ष फ्री-स्टाइल और ग्रीको रोमन पहलवान भी शामिल हैं। जबकि एनसीआर में तापमान इन दिनों 45 डिग्री सेल्सियस के पार हो रहा है तो यह हॉल ट्रेनिंग के लिये फिट नहीं है।
गौरतलब है कि हॉकी के बाद भारत के लिए सबसे ज्यादा ओलंपिक मेडल दिलाने वाला यह ही खेल है। टोक्यो ओलंपिक में भी इस खेल ने सर्वाधिक दो मेडल भारत को दिलाए थे लेकिन साई की अव्यवस्था से पहले इन पहलवानों को लड़ना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय शिविर की निगरानी कर रहे कई कोच में से एक ने पीटीआई को बताया कि कभी कभार मल्टीपर्पज हॉल के अंदर का तापमान ट्रेनिंग के दौरान 39 डिग्री तक पहुंच जाता है।कोच ने कहा, ट्रेनिंग के लिये आदर्श तापमान 23 से 24 डिग्री होना चाहिए लेकिन हम अपने पहलवानों को इतनी गर्मी में ट्रेनिंग करवाकर चोट लगने की ओर ढकेल रहे हैं। जब राष्ट्रमंडल खेल करीब हैं तो यह आदर्श स्थिति नहीं है।
एक कोच ने कहा, ऐसा लगता है कि जैसे हम सोना बाथ (भाप स्नान) ले रहे हैं। यहां इतनी गर्मी होती है। पहलवान सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त हॉल में ट्रेनिंग किया करते थे लेकिन इसमें मरम्मत का काम चल रहा है तो पहलवान मल्टीपर्पज हॉल में ट्रेनिंग कर रहे हैं जिसकी ऊंचाई 12.5 मीटर है जिससे एयर कंडीशनर (एसी) भी प्रभावी नहीं रहते हैं।
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया, हाल में रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में 57 किग्रा के स्वर्ण पदक विजेता अमन सहरावत और राष्ट्रमंडल खेलों के लिये टीम में शामिल मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा) सभी इस केंद्र पर ट्रेनिंग रहे हैं।
कभी कभार तोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि दहिया, जितेंदर किन्हा और दीपक पूनिया भी सोनीपत में ही ट्रेनिंग करते हैं। दहिया आमतौर पर छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास करते हैं।राष्ट्रीय शिविर इस साल के शुरू में साइ केंद्र में शुरू हुआ और सर्दियों में भी अंदर का तापमान ट्रेनिंग के लिये बिलकुल सही नहीं था।
सर्दियों में भी होता है बुरा हाल
उन्होंने कहा, सर्दी में अगर बाहर यह 10 डिग्री सेल्सियस होता तो हॉल के अंदर सात या आठ डिग्री। कभी कभार बर्फीला ठंडा हो जाता क्योंकि यह हॉल कुश्ती ट्रेनिंग के लिये फिट नहीं है। साइ की कार्यकारी निदेशक ललिता शर्मा ने सूचित किया कि उन्होंने हॉल के अंदर अब कुछ कूलर भी लगवा दिये हैं।
उन्होंने कहा, हमने आज ही छह कूलर का इंतजाम किया है। हम पहलवानों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है कि एक महीने के अंदर मरम्मत का काम पूरा हो जायेगा।
ललिता ने बताया, मरम्मत का काम कोविड-19 शुरू होने से पहले ही आरंभ हुआ था लेकिन महामारी के कारण इसे रोकना पड़ा। तब पूरा ढांचा गिरा दिया गया था इसलिये वे अब उस हॉल में ट्रेनिंग कर रहे हैं जो बैडमिंटन और वालीबॉल ट्रेनिंग के लिये इस्तेमाल किया जाता है। वहीं घटिया खाने की शिकायतें भी आयी हैं।
मेस में खाना खराब, मनमाना जूस भी नहीं मिलता
पहलवान और कोच केंद्र की मेस में मिलने वाले खाने के स्तर से नाराज हैं।एक पहलवान ने कहा, खाने में विविधता है लेकिन गुणवत्ता नहीं । हमें रोज जूस और नारियल पानी भी नहीं मिलता है। वे हमें तरबूज का जूस देते हैं और वो भी शाम में। उन्होंने पूछा, क्या पहलवानों को यह लेना चाहिए? हमें मौसमी और अनार के जूस की जरूरत है जिससे ट्रेनिंग के बाद उबरने में मदद मिलती है।
पता चला है कि बजरंग पूनिया और कई अन्य पहलवान साइ की मेस में नहीं बल्कि घर का बना खाना खाते हैं।एक पहलवान ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, उनके (मेस में) पास उचित बर्तन और चम्मच भी नहीं हैं। एक कोच अपना स्टील का ग्लास ला रहा था क्योंकि यहां ज्यादा ग्लास नहीं हैं। कभी कभार कोच प्लेट से दूध पीते हैं।
उन्होंने कहा, जब तक एक प्राइवेट कांट्रेक्टर काम कर रहा था तो यह बेहतर था लेकिन जब से यह नया कांट्रेक्टर आया है, चीजें खराब ही हुई हैं। मेस तो पूरी तरह खराब है। उन्होंने कहा, पहले अगर हमारा ट्रेनिंग सत्र लंबा खींच जाता था तो भी हमें खाना मिल जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होता। कभी कभार आपको खाना नहीं मिलता क्योंकि वे एक निश्चित समय तक ही खाना देते हैं।
हालांकि साइ कार्यकारी निदेशक ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे वही खाना देते हैं जिसका सुझाव पोषण विशेषज्ञ देते हैं।उन्होंने कहा, हम स्वाद वाला खाना नहीं देते बल्कि वो देते हैं जिसकी सलाह पोषण विशेषज्ञ देता है। पहलवानों को अनुकूलित होने में थोड़ा समय लगेगा। हम सर्वश्रेष्ठ तरीके से उनकी ट्रेनिंग में मदद का प्रयास कर रहे हैं। साइ केंद्र ने साक्षी मलिक हॉल में वीओ2 जांच का उपकरण भी लगवाया है जिसका इस्तेमाल ऑक्सीजन के स्तर को देखने के लिये किया जाता है।