निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर के श्रीकृष्णा धारावाहिक के 19 सितंबर के 140वें एपिसोड ( Shree Krishna Episode 140 ) में हनुमानजी अर्जुन का घमंड तोड़ने के बाद द्वारिका की वाटिका में बलरामजी के बल का भी घमंड तोड़ देते हैं। तब हनुमानजी श्रीकृष्ण, रुक्मिणी और बलरामजी से अपने राम, लक्ष्मण और सीता स्वरूप में उन्हें दर्शन देने का अनुरोध करते हैं। तीनों उसी रूप में दर्शन देते हैं। इसके बाद रामानंद सागरजी आकर बताते हैं कि यहां तक हमने आपको भगवान श्रीकृष्ण की विविध लीलाएं दिखाई। अब हम श्रीकृष्ण के जीवन के उस मोड़ पर आ गए हैं जहां खड़े होकर वे अर्जुन को गीता का उपदेश देंगे। अब आगे।
रामानंद सागरजी श्रीकृष्ण के कई रूपों का वर्णन करते हैं- जैसे एक प्रेमी का रूप, पुत्र का रूप और योद्धा का रूप आदि। उनकी जीवन लीला में हर प्रकार का रस है। उनका बहुरंगी जीवन एक संपूर्ण जीवन था। वे पूर्ण अवतार थे। उनके अनुसार संसार के सारे सुख और आनंद मनुष्य के लिए ही है। संसार के सारे सुख भोगो परंतु एक योगी की तरह।
फिर श्रीकृष्ण के अब तक के जीवन के सभी प्रसंग, घटना और चरित्र को बताया जाता है। बचपन में सुदाम से मित्रता और बड़े होकर उनसे मिलन। कंस वध, शिशुपाल वध, जन्म से पूर्व अपने चतुर्भुज का दर्शन देना। देवकी का वसुदेव से विवाह, कंस ने सुनी आकावशवाणी, कंस द्वारा देवकी के छह पुत्रों की हत्या, उग्रसेन को बंदी बनाकर काल कोठरी में डालना, कंस का अपनी प्रजा पर अत्याचार, श्रीविष्णु का देवकी के गर्भ में प्रवेश, श्रीकृष्ण को वसुदेव द्वारा गोकुल में यशोदा के यहां छोड़कर आना, यशोदा की पुत्री को कारागार में लेकर आना, उस पुत्री का दुर्गा का रूप धारण करके कंस को चेतावनी देना।
फिर श्रीकृष्ण की गोकुल और वृंदावन में की गई लीलाओं का वर्णन बताया जाता है। पूताना का उद्धार, शकटाशुर का वध, तृणावर्त का वध, माखन चोरी, यशोदा माता को मुख में ब्रह्मांड दर्शन कराना, गोपियों की मटकी फोड़ना, कालिया दमन, गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के अहंकार का दमन करना, राधा के साथ रास लीला, होली मिलन, महारास, श्रीकृष्ण का गोकुल छोड़कर जाने का विरह आदि। जय श्रीकृष्णा।