Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Sawan somwar 2024: सावन माह के पहले प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और उपाय

हमें फॉलो करें Pradosh Vrat

WD Feature Desk

, गुरुवार, 1 अगस्त 2024 (12:45 IST)
Pradosh Vrat
Pradosh Vrat : सावन माह का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को रखा जा रहा है। पहला प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि यानी गुरु प्रदोष व्रत दिन गुरुवार, 01 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं जिसे त्रयोदशी और प्रदोष का अधिव्यापन भी कहते हैं। वह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।ALSO READ: Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त, कथा और सरल पूजा विधि
 
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 01 अगस्त 2024 को दोपहर 03:28 से।
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 02 अगस्त 2024 को दोपहर 03:26 तक।
 
शुभ मुहुर्त:-
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 से 12:54 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:42 से 03:36 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:12 से 07:33 तक।
पितृदोष के उपाय : प्रदोष का दिन और गुरु का दिन पितरों का दिन भी होता है।
 
प्रदोष व्रत उपाय : Pradosh Vrat Upay 
 
1. शिव पूजा : हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रतिमाह आने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे बड़ा दिन होता है। इस दिन शाम को प्रदोष काल में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल में पूजा करने से भगवान शिव जी जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।ALSO READ: Sawan pradosh vrat 2024: सावन माह के पहले प्रदोष व्रत पर यदि ये उपाय कर लिया तो पितृदोष हो जाएगा दूर
 
2. पारद शिवलिंग की पूजा : प्रदोष के दिन यदि पारद शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं तो जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होगा। पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं। पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य प्रदोष पर पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
 
3. प्रदोष कथा : इस दिन प्रदोष से जुड़ी कथा सुने। प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
 
4. एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल : पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि शुक्रवार के दिन एक तांबे के लोटे में जल भरें। एक आंकड़े का फूल लें। दोनों को लेकर शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर सबसे पहले तांबे के लोटे का जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप करें। इसके बाद आंकड़े के फूल को जलाधारी में अशोक सुंदरी वाले स्थान पर अर्पित कर देना हैं। ALSO READ: Guru pradosh : सावन में गुरु प्रदोष व्रत रखने के फायदे
 
5. सभी समस्याओं से मिलेगा छुटकारा : पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि एक दुख से छुटकारा मिला कि दूसरा खड़ा हो जाता है। एक समस्या से मुक्ति मिली नहीं कि दूसरी सामने आ जाती है। ऐसे में प्रदोष के दिन प्रदोष काल में 2 जगहों पर दीपक लगाना प्रारंभ कर दें। पहला दीया बेलपत्र के वृक्ष के नीचे और दूसरे दीया अपने दरवाजे की चौखट के बाहर उस ओर जब हम घर में प्रवेश करें तो राइट हैंड पर लगाएं। दोनों ही जगह शिवजी से प्रार्थना करें कि हे नंदीश्वर आप जब भी प्रदोष काल में भ्रमण पर निकले तो मैंने भी आपके लिए द्वार सजाया है। थोड़ी दया मेरे घर की चौखट पर भी कर देना।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Raksha bandhan 2024: रक्षा बंधन के शुभ मुहूर्त और राखी मनाने का सही तरीका जानें