Pradosh Vrat : सावन माह का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को रखा जा रहा है। पहला प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि यानी गुरु प्रदोष व्रत दिन गुरुवार, 01 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं जिसे त्रयोदशी और प्रदोष का अधिव्यापन भी कहते हैं। वह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।
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त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 01 अगस्त 2024 को दोपहर 03:28 से।
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 02 अगस्त 2024 को दोपहर 03:26 तक।
शुभ मुहुर्त:-
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 से 12:54 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:42 से 03:36 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:12 से 07:33 तक।
पितृदोष के उपाय : प्रदोष का दिन और गुरु का दिन पितरों का दिन भी होता है।
प्रदोष व्रत उपाय : Pradosh Vrat Upay
2. पारद शिवलिंग की पूजा : प्रदोष के दिन यदि पारद शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं तो जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होगा। पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं। पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य प्रदोष पर पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
3. प्रदोष कथा : इस दिन प्रदोष से जुड़ी कथा सुने। प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
4. एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल : पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि शुक्रवार के दिन एक तांबे के लोटे में जल भरें। एक आंकड़े का फूल लें। दोनों को लेकर शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर सबसे पहले तांबे के लोटे का जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप करें। इसके बाद आंकड़े के फूल को जलाधारी में अशोक सुंदरी वाले स्थान पर अर्पित कर देना हैं।
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5. सभी समस्याओं से मिलेगा छुटकारा : पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि एक दुख से छुटकारा मिला कि दूसरा खड़ा हो जाता है। एक समस्या से मुक्ति मिली नहीं कि दूसरी सामने आ जाती है। ऐसे में प्रदोष के दिन प्रदोष काल में 2 जगहों पर दीपक लगाना प्रारंभ कर दें। पहला दीया बेलपत्र के वृक्ष के नीचे और दूसरे दीया अपने दरवाजे की चौखट के बाहर उस ओर जब हम घर में प्रवेश करें तो राइट हैंड पर लगाएं। दोनों ही जगह शिवजी से प्रार्थना करें कि हे नंदीश्वर आप जब भी प्रदोष काल में भ्रमण पर निकले तो मैंने भी आपके लिए द्वार सजाया है। थोड़ी दया मेरे घर की चौखट पर भी कर देना।
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