16 सोमवार की पवित्र कथा : जब सुंदर स्त्री का मन बदल गया और जीवन सुधर गया

Webdunia
श्रावण मास महादेव का सबसे प्रिय महीना है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, यह माह देवों के देव महादेव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है। इस दौरान व्रत, दान व पूजा-पाठ करना अति उत्तम माना गया है।

इस महीने में तपस्या और पूजा पाठ से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताते हुए कहा है कि उनके तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बाएं चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है।
 
इस मंत्र से सोमवार का संकल्प किया जाता है।

: मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'
 
यह है ध्यान मंत्र-

'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥
 
ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवायै' नमः से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
 
यह है सोमवार की विशेष कथा :
 
एक बार की बात हैं सावन के महीने में अनेक ऋषि क्षिप्रा नदी उज्जैन में स्नान कर महाकाल शिव की अर्चना करने हेतु एकत्र हुए। वहां अपने रूप की अभिमानी स्त्री भी अपने कुत्सित विचारों से ऋषियों को धर्मभ्रष्ट करने चल पड़ी।

किंतु वहां पहुंचने पर ऋषियों के तपबल के प्रभाव से उसके शरीर की सुगंध लुप्त हो गई। वह आश्चर्यचकित होकर अपने शरीर को देखने लगी। उसे लगा, उसका सौंदर्य भी नष्ट हो गया।
 
उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। उसका मन विषयों से हट गया और भक्ति मार्ग पर बढ़ने लगा। उसने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु ऋषियों से उपाय पूछा, वे बोले- ‘तुमने सोलह श्रृंगारों के बल पर अनेक लोगों का धर्मभ्रष्ट किया, इस पाप से बचने के लिए तुम सोलह सोमवार व्रत करो और काशी में निवास करके भगवान शिव का पूजन करो।’ 
 
यह संदेश पाते ही स्त्री ने ऐसा ही किया और अपने पापों का प्रायश्चित कर शिवलोक पहुंची। भगवान शिव की कृपा से अपने समस्त पापों से मुक्त हुई। तब से ही आचरण की शुद्धता के लिए 16 सोमवार का पावन व्रत किया जाता है।
 
सोलह सोमवार के व्रत से कन्याओं को सुंदर सुशील पति मिलते हैं तथा पुरुषों को भी सुंदर सुशील पत्नी की प्राप्ति होती है। बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास, इसमें शिव की पूजा करने से प्रायः सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है। 
 
इस कथा के बाद शिव जी की आरती कर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Ganesh chaturthi 2024: गणेश उत्सव के तीसरे दिन के अचूक उपाय और पूजा का शुभ मुहूर्त

Dhanteras 2024 date and time: दिवाली के पहले धनतेरस का पर्व कब मनाया जाएगा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में डोली पर सवार होकर आएंगी माता दुर्गा, जानिए कैसा रहेगा देश दुनिया का हाल

Ganesh chaturthi 2024: गणेश उत्सव के दूसरे दिन क्या करें, जानें इस दिन के अचूक उपाय और पूजा मुहूर्त

Parivartini Ekadashi Vrat: परिवर्तिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? जानें इस व्रत का महत्व और फायदे

सभी देखें

धर्म संसार

09 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

09 सितंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

September Weekly Horoscope: सितंबर में इन राशि वालों के लिए खुलेंगे तरक्की के दरवाजे, पढ़ें अपना साप्ताहिक राशिफल

Aaj Ka Rashifal: 08 सितंबर, क्या होगा खास आज के दिन, पढ़ें मेष से मीन राशि का दैनिक राशिफल

08 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More