Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

12 Jyotirlinga: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के 7 ज्योतिर्लिंगों को छोड़कर करें अन्य 5 के दर्शन की प्लानिंग

हमें फॉलो करें kedarnath

WD Feature Desk

, गुरुवार, 25 जुलाई 2024 (15:48 IST)
12 Jyotirlinga Darshan Plan: मध्यप्रदेश के महाकाल और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बाद महाराष्ट्र के घुश्मेश्वर, भीमाशंकर और त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें और इसके बाद गुजरात के सोमनाथ एवं नागेश्वर के दर्शन करें। इस सातों ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लिए हैं तो आप बचे 5 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान जानिए कि किस तरह यहां जाएं दर्शन करने।ALSO READ: Sawan somwar 2024: इन 3 राज्यों में जाकर आप 7 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करें, जानें प्लान
 
ये बचे हैं 5 ज्योतिर्लिंग:- केदारनाथ, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), बैद्यनाथ, मल्लिकार्जुन और रामेश्वर।
 
5 ज्योतिर्लिंग रूट :-
1. बाबा केदारनाथ : सबसे पहले आप जाएं उत्तराखंड में हरिद्वार के आगे केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जाएं। केदारनाथ के दर्शन तब तक अधूरे हैं जबकि कि आप नेपाल के पशुपतिनाथ के दर्शन नहीं कर लेते हैं। यदि आप यहां से नेपाल जा सकते हैं तो जरूर जाएं। दिल्ली से केदारनाथ की दूरी 470 किलोमीटर है। सामान्य मार्ग दिल्ली से हरिद्वार जाता है, फिर ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर और रुद्रप्रयाग से होकर गौरीकुंड के आधार शहर तक पहुँचता है। गौरीकुंड से, आप या तो 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर सकते हैं या केदारनाथ के पवित्र शहर तक पहुँचने के लिए टट्टू की सवारी कर सकते हैं। हरिद्वार है जो केदारनाथ से सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है। दिल्ली से हरिद्वार तक कई ट्रेनें चलती है।ALSO READ: गुजरात का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, पांडवों ने किया था स्थापित, नागदोष से मुक्ति का चमत्कारी स्थान
 
2. बाबा विश्‍वनाथ : नेपाल नहीं जा रहे हैं तो केदारनाथ से हरिद्वार होते हुए आप दिल्ली आकर यहां से वाराणसी की ट्रेन पकड़ें और काशी में बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन करें। दिल्ली से काशी की दूरी करीब 872 किलोमीटर है। यहां के लिए फ्लाइट, ट्रेन और बस सभी चलती है।
webdunia
3. बाबा बैद्यनाथ : वाराणसी में काशी विश्वनाथ बाबा के दर्शन करने के बाद आप झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें। कहा जाता है कि जब रावण ने अपने तपस्या के बल से भगवान शिव को लंका ले जाने की कोशिश की थी, परन्तु रास्ते में व्यवधान आ जाने के कारण शर्त के अनुसार शिव जी यहीं पर स्थापित हो गए। वाराणसी से देवघर की दूरी करीब 468 किलोमीटर है।ALSO READ: गुजरात में हैं 2 ज्योतिर्लिंग, रोचक है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी
 
4. श्री मल्लिकार्जुन : देवघर से आप आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के किनारे नल्लामाला श्रीशैल पर्वत पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। यहां पर 51 शक्तिपीठों में से एक पीठ है। 51 शक्तिपीठों में से 18 शक्तिपीठों का विशेष महत्व है। इन 18 शक्तिपीठों में से 4 शक्तिपीठ अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। श्रीशैलम उन 4 शक्तिपीठों में से एक है। भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन मंदिर के सबसे पास का रेलवे स्टेशन मार्कपुर है, जो मंदिर से 80 किलोमीटर दूर है। देवघर से श्री मल्लिकार्जुन की दूरी करीब 1,655 किलोमीटर है।
 
4. रामेश्वरम : अंत में आप प्रभु श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें। भगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में स्थित हैं। आप चेन्नई के कोयम्बेडु बस टर्मिनल से बस पकड़ सकते हैं, जो रामेश्वरम से लगभग 570 किलोमीटर दूर है। ट्रैफिक की स्थिति के आधार पर यात्रा में लगभग 10-12 घंटे लगते हैं। इस मार्ग पर कई बस ऑपरेटर सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिनमें SETC (राज्य एक्सप्रेस परिवहन निगम) और निजी ऑपरेटर शामिल हैं। श्री मल्लिकार्जुन से रामेश्वरम की दूरी 950 किलोमीटर है।ALSO READ: Sawan somvar 2024 : सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवलिंगों में सबसे महान शिवलिंग कौनसा है?
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मेन गेट के सामने क्या नहीं होना चाहिए?