अधिकांश लोगों ने 19 सितंबर को अमावस्या मना ली है लेकिन 20 सितंबर को भी अमावस्या है। जानिए अमावस्या पर पितरों की विदाई कैसे करें कि कुंडली में विराजमान गुरु चांडाल योग,विष योग एवं राहु के प्रकोप की शांति हो सके।
19 सितंबर को अमावस्या दिन में 11:52 मिनट पर लगी, 20 सितंबर यानी बुधवार को सुबह 10:51 तक है। इसलिए इसके बीच ही पितृ विसर्जन होगा।
आश्विन मास के कृष्णपक्ष का संबंध पितरों से होता है. इस मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है।
अगर पूरे पितृपक्ष में अपने पितरों को याद न किया गया हो तो इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है।
केवल अमावस्या को उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है।
इस दिन दान करने का फल अमोघ होता है साथ ही इस दिन तर्पण कर गुरु चांडाल योग, विष योग एवं राहु के प्रकोप इत्यादि से मुक्ति पाई जा सकती है।
पितृ विसर्जन अमावस्या : गुरु चांडाल योग का निवारण
प्रातःकाल स्नान करके पीपल के वृक्ष में जल दें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः' का जाप करें।
दोपहर के समय किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं।
भोजन में उड़द की दाल, खीर और केले रखें। भोजन के बाद व्यक्ति को पीले वस्त्र और धन, दक्षिणा के रूप में दें।
पितृ विसर्जन अमावस्या : विष योग का निवारण
दोपहर में दक्षिण की और मुख करके पितरों को जल अर्पित करें। इसके बाद भगवदगीता के 11वें अध्याय का पाठ करें।
अग्नि में पहले घी की, फिर काले तिल की और फिर भोजन के अंश की आहुति दें।
किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं। इसके बाद उसे चप्पल या जूतों का दान करें।
पितृ विसर्जन अमावस्या : राहु की समस्याओं का निवारण
पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन दोपहर के समय 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः' का कम से कम 11 माला जाप करें। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करें।
मंत्र जाप के बाद वस्त्रों का और जूते चप्पल का दान करें।
सफेद चंदन की माला को गले में धारण कर लें।