पितृ पक्ष के 16 दिन हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। मान्यता है कि हमारे द्वारा शुद्ध मन से किया गया तर्पण उन्हें तृप्ति प्रदान करता है और वे हमें पवित्र आशीष प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं 11 काम की बातें....
श्राद्ध करने के लिए तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है।
ब्राह्मणों को भोजन और पिण्ड दान से के जरिए पितरों को भोजन दिया जाता है।
ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दी जाती है।
श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र(पुत्री की संतान), कुश और तिल चीजों को जरूर सम्मिलित करें।
इस दिन अगर आपके घर में कोई भिखारी आ जाए तो उसे भी आदरपूर्वक भोजन कराना चाहिए।
पितरों के श्राद्ध के दिन गाय और कौए के लिए भी भोजन निकालना चाहिए।
जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है।
पितृ पक्ष में भोजन करने वाले ब्राह्मण के लिए भी नियम है कि श्राद्ध का अन्न ग्रहण करने के बाद कुछ न खाएं।
श्राद्ध के दिन गाय, मछली, कुत्ता, कौआ, भिक्षुक और चींटी इन्हें आहार देने का अवसर आए तो उसे न चुकें।
सुनिश्चित कुतप काल में धूप देकर पितरों को तृप्त करें।
तुलसी का प्रयोग सर्वाधिक करें। तुलसी की गंध पितरों के लिए शांतिदायक होती है।