Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

ब्रज के इन मंदिरों से है भगवान शिव का सीधा संबंध, विशेष है यहां की खप्पर पूजा

हमें फॉलो करें ब्रज के इन मंदिरों से है भगवान शिव का सीधा संबंध, विशेष है यहां की खप्पर पूजा
यूं तो शिव के मंदिर भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक हैं लेकिन ब्रजमण्डल के शिव मंदिरों की कुछ खास ही बात है। कई मंदिर यहां ऐसे हैं जिनके बारे में जनश्रुति है कि भगवान शिव यहां पदार्पित हुए थे। 
 
कहते हैं कि द्वापर युग में भगवान शिव कई बार ब्रज आए थे। यहां तीन ऐसे मंदिर हैं जो पांच हजार साल से भी ज्यादा पुराने बताये जाते हैं। मथुरा का रंगेश्वर महादेव, वृंदावन का गोपेश्वर महादेव और नंदगांव का आश्वेश्वर महादेव मंदिर भोले भंडारी से सीधे जुड़े हुए माने जाते हैं।
 
नंदगांव के आश्वेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को जब वसुदेव नंद के यहां छोड़ गए तो भगवान शिव उनके दर्शन करने यहां पधारे थे। योगी के वेश में आए भोलेनाथ को माता यशोदा पहचान नहीं सकीं और उन्होंने बालक कृष्ण के दर्शन कराने से मना कर दिया। कहते हैं कि इस पर नाराज होकर भगवान शिव उसी जगह धूनी रमाकर बैठ गए थे और अंतत: यशोदा को अपने लाल को उन्हें दिखाना पड़ा था।
 
इसी तरह मथुरा के रंगेश्वर मंदिर के बारे में कथा प्रचलित है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया तो उसका श्रेय लेने के लिए उनका भाई बलराम से झगड़ा हो गया। मंदिर के महंत दामोदर नाथ गोस्वामी कहते हैं कि प्राचीन कथाओं के अनुसार तब महादेव यहां पाताल से प्रकट हुये और ''रंग है, रंग है, रंग है'' कहते हुये फैसला सुनाते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने कंस को छल और बलराम ने बल से मारा है। जनश्रुति है कि जिस जगह भगवान शिव प्रकट हुये थे वहीं रंगेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है। यहां मुख्य विग्रह धरातल से आठ फुट नीचे है और इसके दर्शन और पूजन से सभी तरह के कष्ट दूर होने की बात कही जाती है।
 
रंगेश्वर महादेव मंदिर में खप्पर एवं जेहर पूजा का विशेष महत्व है। खप्पर पूजा महाशिवरात्रि के बाद अमावस्या को होती है। वहीं, जेहर पूजा महाशिवरात्रि के दिन नवविवाहिता महिलायें पुत्र की प्राप्ति के लिए करती हैं। नवविवाहिताएं इस दिन गाजे-बाजे के साथ रंगेश्वर मंदिर जाती हैं और तांबे या पीतल के पात्र में जल भरकर भगवान शिव की पंच वस्त्र से पूजा करती हैं।
 
ब्रज के एक और मंदिर का महादेव से पुराना नाता बताया जाता है। वृंदावन के गोपेश्वर महादेव मंदिर के बारे में महामण्डलेश्वर डॉ. अवशेष स्वामी का कहना है कि प्राचीन कथानकों के अनुसार राधा और श्रीकृष्ण यहां महारास कर रहे थे। उन्होंने गोपियों को आदेश दे रखा था कि कोई पुरुष यहां नहीं आना चाहिये। उसी वक्त भगवान शिव उनसे मिलने वहां पहुंच गये। गोपियों ने आदेश का पालन करते हुये महादेव को वहां रोक लिया और कहा कि स्त्री वेश में ही वह अंदर जा सकते हैं। इसके बाद महादेव ने गोपी का रूप धरकर प्रवेश किया लेकिन श्रीकृष्ण उन्हें पहचान गये। भगवान शिव के गोपी का रूप लेने की वजह से ही इस मंदिर का नाम गोपेश्वर महादेव मंदिर है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैसे मिली अर्जुन को नागकन्या उलूपी, जानिए प्रेमकथा