शिरडी के साईं बाबा क्या कहते हैं अपने भक्तों के बारे में?

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शिरडी के साईं बाबा के अनमोल वचन जो उन्होंने विभिन्न अवसरों पर कहे थे। कहते हैं कि जो भी शिरडी के साईं बाबा को दिल से पुकारता है बाबा उसके आसपास होने की अनुभूति दे ही देते हैं। आओ जानते हैं कि साईं बाबा अपने भक्तों के बारे में क्या कहते हैं।
 
 
मेरे रहते डर कैसा? मैं निराकार हूं और सर्वत्र हूं। मैं हर एक वस्तु में हूं और उससे परे भी। मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूं। आप जो कुछ भी देखते हैं उसका संग्रह हूं मैं। मैं डगमगाता या हिलता नहीं हूं।
 
यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए। यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जाएगा।
 
 
मेरा काम आशीर्वाद देना है। मैं किसी पर क्रोधित नहीं होता। क्या मां अपने बच्चों से नाराज हो सकती है? क्या समुद्र अपना जल वापस नदियों में भेज सकता है? मैं तुम्हे अंत तक ले जाऊंगा।
 
पूर्ण रूप से ईश्वर में समर्पित हो जाइए। यदि तुम मुझे अपने विचारों और उद्देश्य की एकमात्र वस्तु रखोगे, तो तुम सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करोगे। अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें। यही साधना है। 
 
मैं अपने भक्त का दास हूं। मेरी शरण में रहिए और शांत रहिए। मैं बाकी सब कर दूंगा। हमारा कर्तव्य क्या है? ठीक से व्यवहार करना। ये काफी है। मेरी दृष्टि हमेशा उन पर रहती है जो मुझे प्रेम करते हैं। तुम जो भी करते हो, तुम चाहे जहां भी हो, हमेशा इस बात को याद रखो, मुझे हमेशा इस बात का ज्ञान रहता है कि तुम क्या कर रहे हो।
 
मैं अपने भक्तों का अनिष्ट नहीं होने दूंगा। अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसे सहारा देता हूं। मैं अपने लोगों के बारे में दिन-रात सोचता हूं। मैं बार-बार उनके नाम लेता हूं। 
 
अंग्रेजी में पढ़ें
Why fear when I am here? I am formless and everywhere. I am in everything and beyond. I fill all space. All that you see taken together is Myself. I do not shake or move.
 
If one devotes their entire time to me and rests in me, need fear nothing for body and soul. If one sees me and me alone and listens to my Leelas and is devoted to me alone, they will reach God.
 
My business is to give blessings. I get angry with none. Will a mother get angry with her children? Will the ocean send back the waters to the several rivers?
 
I will take you to the end. Surrender completely to God. If you make me the sole object of your thoughts and aims, you will gain the supreme goal.
 
Trust in the Guru fully. That is the only sadhana. I am the slave of my devotee. Stay by me and keep quiet. I will do the rest.
 
What is our duty? To behave properly. That is enough. My eye is ever on those who love me.
 
Whatever you do, wherever you may be, always bear this in mind: I am always aware of everything you do. I will not allow my devotees to come to harm.
 
If a devotee is about to fall, I stretch out my hands to support him or her. I think of my people day and night. I say their names over and over.

प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी
 

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