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Blue moon : शरद पूर्णिमा का क्या है साइंस

हमें फॉलो करें Blue moon : शरद पूर्णिमा का क्या है साइंस
, शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023 (12:20 IST)
Importance of Sharad Purnima: अश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। वर्ष में 24 पूर्णिमाएं होती हैं जिनमें से शरद पूर्णिमा का खासा महत्व है क्योंकि इस दिन आसमान में नीला चांद दिखाई देता है और इसका प्रकाश सबसे तेज होता है। इसके पीछे का क्या है साइंस? इस बार 28 अक्टूबर 2023 शनिवार के दिन यह पूर्णिमा रहेगी और इसी दिन चंद्र ग्रहण भी है। 

चंद्रोदय : 28 अक्टूबर को पूर्णिमा तिथि में ही सुबह 05:42 में चंद्रास्त होकर पुन: शाम 05:19 पर चंद्रोदय होगा। पूर्णिमा तिथि सुबह 04:17 पर प्रारंभ होगी।
 
1. सबसे तेज प्रकाश : मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। इस रात को चांद आम दिनों की अपेक्षा आकार में 14 फीसद बड़ा और चमकदार दिखाई देता है।
 
2. नीला चांद : शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है। पश्‍चिम जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है। एक साल में 12 बार और एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है जबकि हर तीन साल में 13 बार फूल मून होता है। 30 जून, 2007 को ब्लू मून दिखाई दिया था और अगली बार यह 30 सितंबर 2050 को होगा। वर्ष 2018 में दो बार ऐसा अवसर आया जब ब्लू मून की घटना हुई। उस दौरान पहला ब्लू मून 31 जनवरी जबकि दूसरा 31 मार्च को हुआ। 
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3. मन पर प्रभाव : वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होने के कारण शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं।
 
4. ज्वार भाटा : चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।
 
6. सर्दी के मौसम की शुरुआत : शरद पूर्णिमा के दौरान चातुर्मास लगा होता है जिसमें भगवान विष्णु सो रहे होते हैं। चातुर्मास का यह अंतिम चरण होता है। शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन दिनों से सुबह और शाम को सर्दी का अहसास होने लगता है।
 
7. किरणों में अमृत : माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है।

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