Sharad Purnima 2023: 28 अक्टूबर 2023 शनिवार को शरद पूर्णिमा के व्रत रखा जाएगा। इस दिन खंडग्रास चंद्र ग्रहण भी रहेगा। शरद पूर्णिमा कर आसमान में नीले रंग का चांद दिखाई देता है। ऐसे सिर्फ शरद पूर्णिमा पर ही होता है। आओ जानते हैं शरद पूर्णिमा के 10 रहस्य और यह भी कि इस दिन हनुमानजी की पूजा करना से क्या होता है। इसी के साथ और क्या करना चाहिए।
1. सबसे तेज प्रकाश : पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है।
2. नीला चांद : शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है। पश्चिम जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है।
3. मन पर प्रभाव : वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होने के कारण शरीर के अंदर रक्त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं।
4. ज्वार भाटा : चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।
5. दूध को चंद्रमा की रोशनी में रखना : शरद पूर्णिमा के चांद में छत या गैलरी पर चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में दूध को रखा जाता है। फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है।
6. सर्दी के मौसम की शुरुआत : शरद पूर्णिमा के दौरान चातुर्मास लगा होता है जिसमें भगवान विष्णु सो रहे होते हैं। चातुर्मास का यह अंतिम चरण होता है। शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन दिनों से सुबह और शाम को सर्दी का अहसास होने लगता है।
7. तामसिक भोजन नहीं करना : इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
8. व्रत रखना : जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है। इस कारण पूर्णिमा व्रत का पालन रखने की सलाह दी जाती है।
9. चंद्रदेव को अर्घ्य देना : शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी, चंद्र देव, भगवान शिव, कुबेर, हनुमान और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है।
10. हनुमानजी की पूजा : शरद पूर्णिमा की रात में हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इसके लिए आप मिट्टी का एक दीपक लें और उसमें तेल या घी भरें। इससे आपको हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।