Mandir Masjid vivad : कहते हैं कि सम्राट पुलकेशिन द्वितीय, सम्राट हर्षवर्धन और राजा दाहिर के साम्राज्य के पतन के बाद भारत में विदेशी आक्रांताओं का हमला बढ़ गया था। इन लुटरे और आक्रांताओं ने उत्तर भारत को लगभग खंडहर बना दिया था। इस दौरान भारत के मंदिर तोड़े गए और वहां पर विदेशियों ने अपने धर्म के ढांचे खड़े किए, जिन पर आज विवाद है। ऐसे ही 10 विवादित स्थलों की संक्षिप्त जानकारी।
1. ताजमहल : हिन्दू दावों के अनुसार यह एक विशालकाय किला और महल था जिसके भीतर तेजोमहालय नामक एक मंदिर था। शाहजहां ने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया था। प्रसिद्ध शोधकर्ता और इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी शोधपूर्ण पुस्तक में तथ्यों के माध्यम से ताजमहल को एक हिन्दू इमारत सिद्ध करने के लिए 700 से ज्यादा सबूत दिए हैं।
2. कुतुब मीनार : हिन्दू दावों के अनुसार कुतुब मीनार को पहले विष्णु स्तंभ कहा जाता था। इससे पहले इसे सूर्य स्तंभ कहा जाता था। इसके केंद्र में ध्रुव स्तंभ था जिसे आज कुतुब मीनार कहा जाता है। यह एक वेधशाला थी जो वराहमिहिर की देखरेख में चंद्रगुप्त द्वितिय के आदेश से बनी थी। कुतुब मीनार की चारदीवारी में खड़ा लौह स्तंभ और मीनार के सभी स्तंभ सच बयां कर देते हैं।
3. लाल किला : कहते हैं कि शाहजहां ने 1638-1648 के बीच लाल किला बनाया था। लेकिन ऑक्सफोर्ड बोडिलियन पुस्तकालय में एक चित्र सुरक्षित है रखा है जिसमें 1628 ई. में फारस के राजदूत को शाहजहां के राज्याभिषेक पर लाल किले में मिलता हुआ दिखलाया गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि तारीखे फिरोजशाही में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल (लाल प्रासाद/महल ) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया। हिन्दू दावों के अनुसार इसकी स्थापना तोमर शासक राजा अनंगपाल ने 1060 में की थी।
4. आगरा का किला : इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है कि यह किला एक ईंटों का किला था जिसका नाम पहले बादलगढ़ था। इस किले का प्रथम विवरण 1080 ईस्वी में आता है, जब महमूद गजनवी की सेना ने इस पर कब्जा कर लिया था। आगरा का किला मूलतः एक ईंटों का किला था, जो चौहान वंश के राजपूतों के पास था।
5. ढाई दिन का झोपड़ा : अजमेर में दरगाह के पास एक स्ट्रक्चर है जिसे ढाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है। पहले यहां एक संस्कृत पाठशाला और मंदिर की इमारत थी, जिसे पृथ्वीराज चौहान के पूर्वजों ने बनवाया था। मोहम्मद गौरी ने इसे तुड़वाकर ढाई दिन में इसे मस्जिद में बदलवा दिया था। इसका डिजाइन अबु बकर ने तैयार किया था।
6. काशी विश्वनाथ : कहते हैं कि ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसका सम्राट विक्रमादित्य ने जीर्णोद्धार करवाया था। उसे ही 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था। कई बार बनने और टूटने के बाद अंत में 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बना दी गई। इसी के पास 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था।
7. कृष्ण जन्मभूमि : मथुरा में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व बनाया गया था। शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी 'वसु' नामक व्यक्ति ने यह मंदिर बनाया था। दूसरा मंदिर विक्रमादित्य के काल में बनवाया गया था। इस भव्य मंदिर को सन् 1017-18 ई. में महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था। फिर देशी राजाओं द्वारा बनाया जाता रहा और विदेशियों द्वरा तोड़ा जाता रहा। अंत में औरंगजेब ने 1660 में मथुरा में कृष्ण मंदिर को तुड़वाकर उसके हाथे हिस्से पर ईदगाह बनवा दी।
8. बिना नींव की मस्जिद : मुस्लिम पक्ष मानते हैं कि यह मस्जिद 800 साल पहले जिन्नातों ने बनाई थी। हिन्दू पक्ष मानता है कि यह पहले मंदिर था जिले राजा भोज ने बनवाया था। मध्यप्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में क्षिप्रा तट पर स्थित इस मस्जिद में में गणेश प्रतिमा और कई हिन्दू अवशेषों चिन्हों की बात कही जा रही है। 16वीं सदी में मुस्लिम मुगल शासकों द्वारा इस पर कब्जा करके इसे मस्जिद बना दिया गया।
9. भोजशाला : राजा भोज सरस्वती के उपासक थे इसलिए उन्होंने धार में सरस्वती का एक भव्य मंदिर बनवाया था। सन् 1034 में मां सरस्वती की अनूठी मूर्ति का निर्माण कराकर भोजशाला में प्रतिष्ठित किया था। इतिहासकार शिवकुमार गोयल अनुसार 1305 में इस भोजशाला मंदिर को अलाउद्दीन खिलजी ने ध्वस्त कर दिया था। खिलजी द्वारा ध्वस्त कराई गई भोजशाला के एक भाग पर 1401 में दिलावर खां गौरी ने मस्जिद बनवाई थी। सन् 1514 में महमूद शाह खिलजी ने शेष भाग पर भी मस्जिद बनवा दी।
10. मांडव : संपूर्ण मांडव को परमारवंश के राजा ने बसाया था। यहां के सभी महल और स्मारक परमारवंशियों ने बनवाए थे। मांडू मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित एक पर्यटन स्थल है। यहां के दर्शनीय स्थलों में जहाज महल, हिन्डोला महल, शाही हमाम, जामी मस्जिद, बाज बहादुर महल, रानी रूपमति महल और आकर्षक नक्काशीदार गुम्बद वाली मस्जिद आदि सभी को इस्लामिक लुक देकर उन पर अरबी में इबारतें लिख दी गई। मांडव के राममंदिर में लगी एक पट्टीका में मिलता है कि किस तरह मांडव में विध्वंस और कत्लेआम किया गया था।
उल्लेखनीय है कि अयोध्या स्थित बाबरी ढांचा भी इसी में शामिल था लेकिन अब वह विवाद का विषय नहीं रहा।