Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

ज्ञानवापी फैसले पर बोले असदुद्दीन ओवैसी, कयामत तक रहेगी मस्जिद, मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने की दी सलाह

हमें फॉलो करें ज्ञानवापी फैसले पर बोले असदुद्दीन ओवैसी, कयामत तक रहेगी मस्जिद, मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने की दी सलाह
, सोमवार, 12 सितम्बर 2022 (22:15 IST)
वाराणसी। Gyanvapi Mosque case : ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर आए जिला कोर्ट के आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया सामने आया है। ओवैसी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के फैसले से 1991 के वर्शिप एक्ट का मतलब ही खत्म हो जाता है। ओवैसी ने कहा कि  ज्ञानवापी मस्जिद का केस बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जाता दिख रहा है और ऐसे तो देश में 80-90 के दशक में वापस चला जाएगा। 
 
हाईकोर्ट में दी चुनौती : ओवैसी ने यह भी कहा कि जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए। ओवैसी ने सोमवार को कहा कि मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली इंतजामिया कमेटी को हाईकोर्ट में इस फैसले को तुरंत चुनौती देनी चाहिए।
 
वाराणसी जिला अदालत ने 5 हिन्दू महिलाओं की उस याचिका की पोषणीयता पर उठाई गई आपत्ति को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उन देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। अदालत ने कहा कि मामले में सुनवाई जारी रहेगी। इसने अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख निर्धारित की।
 
5 मंत्रियों ने किया स्वागत : केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि काशी और मथुरा हमारी सनातन संस्कृति की पहचान हैं। हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं और सभी से शांति की अपील करते हैं।
 
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार ने एक ट्वीट में कहा कि सत्य की जीत! हिन्दू पक्ष द्वारा दायर मुकदमे को विचारणीय घोषित करने वाला वाराणसी की अदालत का फैसला महादेव की कृपा के कारण है! हर हर महादेव। 
 
केंद्रीय उपभोक्ता राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि काशी और मथुरा हमारे सनातन धर्म का गौरव हैं। यह निर्णय हमारी संस्कृति के उत्थान के लिए है। गौतम बुद्ध नगर से सांसद महेश शर्मा ने आदेश के बाद ट्वीट किया, "सत्यमेव जयते। सत्य की ही जीत होती है) हर हर महादेव।"

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बताया निराशाजनक : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े अदालत के फैसले को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार 1991 के उपासना स्थल कानून का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे।
 
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने एक बयान में कहा कि  ज्ञानवापी के संबंध में जिला अदालत का प्रारंभिक निर्णय निराशाजनक और दुःखदायी है।' उनके अनुसार 1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के बीच संसद ने मंजूरी दी थी कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर सभी धार्मिक स्थल 1947 में जिस स्थिति में थे, उन्हें यथास्थिति में रखा जाएगा और इसके ख़िलाफ़ कोई विवाद मान्य नहीं होगा। फिर बाबरी मस्जिद मामले के फ़ैसले में उच्चतम न्यायालय ने 1991 के क़ानून की पुष्टि की।'
 
रहमानी ने कहा कि इसके बावजूद जो लोग देश में घृणा परोसना चाहते हैं और जिन्हें इस देश की एकता की परवाह नहीं है, उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा उठाया और अफ़सोस की बात है कि स्थानीय अदालत ने 1991 के क़ानून की अनदेखी करते हुए याचिका को स्वीकृत कर लिया और एक हिन्दू समूह के दावे को स्वीकार किया।"
 
उन्होंने दावा किया कि यह देश के लिए एक दर्दनाक बात है, इससे देश की एकता प्रभावित होगी, सामुदायिक सद्भाव को क्षति पहुंचेगी, तनाव पैदा होगा। रहमानी ने कहा कि सरकार को 1991 के क़ानून को पूरी ताक़त से लागू करना चाहिए। सभी पक्षों को इस क़ानून का पाबन्द बनाया जाए और ऐसी स्थिति उत्पन्न न होने दें कि अल्पसंख्यक न्याय व्यवस्था से निराश हो जाएं और महसूस करें कि उनके लिए न्याय के सभी दरवाज़े बंद हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Retail Inflation : 3 महीने की गिरावट के बाद खुदरा महंगाई फिर बढ़ी, 7 प्रतिशत पर पहुंची