Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Retail Inflation : 3 महीने की गिरावट के बाद खुदरा महंगाई फिर बढ़ी, 7 प्रतिशत पर पहुंची

Advertiesment
हमें फॉलो करें inflation rate
, सोमवार, 12 सितम्बर 2022 (21:42 IST)
नई दिल्ली। Retail Inflation : सब्जी, मसाले जैसे खाने के सामान के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में बढ़कर 7 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके साथ पिछले 3 महीने से खुदरा मुद्रास्फीति में आ रही कमी थम गयी है। एक महीने पहले जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति 6.71 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 5.3 प्रतिशत थी।
 
मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में फिर से नीतिगत दर को बढ़ा सकता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है।
 
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 7.62 प्रतिशत रही जो जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी। छले साल अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी।
 
सब्जी, मसालों, फुटवियर (जूता-चप्पल) और ईंधन तथा प्रकाश श्रेणी में कीमतों में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। हालांकि अंडे के मामले में मुद्रास्फीति में गिरावट आई जबकि मांस और मछली जैसे प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहीं।
 
मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। मई में यह घटकर 7.04 प्रतिशत तथा जून में 7.01 प्रतिशत पर रही थी। जुलाई में यह घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गई थी। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
 
रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 28-30 सितंबर को होनी है। लगातार तीन बार में नीतिगत दर में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है।
 
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मासिक आधार पर खुदरा महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी है। अनाज, दाल, दूध, फल, सब्जी और तैयार भोजन तथा ‘स्नैक’ जैसे खाने के सामान की महंगाई बढ़ी है।
 
उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि एमपीसी सितंबर 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि करेगी। इसका कारण मुख्य मुद्रास्फीति के अगस्त महीने में बढ़कर फिर से सात प्रतिशत पर पहुंचना है।
 
आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक और मौद्रिक नीति समिति के सदस्य मृदुल सागर ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार संतोषजनक स्तर से ऊंची बनी हुई है। लेकिन अक्टूबर से इसके नीचे आने की उम्मीद है।
 
उन्होंने कहा कि नीतिगत दर में कुछ और वृद्धि के साथ जमाओं पर वास्तविक रूप से नकारात्मक ब्याज दर की समस्या का समाधान हो सकता है। तुलनात्मक आधार, नीतिगत दर में वृद्धि के प्रभाव तथा आपूर्ति व्यवस्था में सुधार की वजह से अक्टूबर से महंगाई दर में कमी आने का अनुमान है।’’
 
एनएसओ ने कहा कि कीमत आंकड़े 1,114 शहरी बाजारों 1,181 गांवों से लिये गये हैं। इसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल है। आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 7.15 प्रतिशत और 6.72 प्रतिशत रही। मुद्रास्फीति पश्चिम बंगाल, गुजरात और तेलंगाना में 8 प्रतिशत से ऊपर रही।
 
स्वास्थ्य व्यय सकल घरेलू उत्पाद : सरकार का स्वास्थ्य व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में 2017-18 के 1.35 से गिरकर अगले वर्ष 1.28 फीसदी पर आ गया। सोमवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुमान दर्शाता है कि कुल सरकारी स्वास्थ्य व्यय में केंद्र की हिस्सेदारी 2018-19 में गिरकर 34.3 प्रतिशत हो गई, जो पिछले वर्ष में 40.8 प्रतिशत थी। वहीं, इसी अवधि के दौरान राज्यों की हिस्सेदारी 59.2 प्रतिशत से बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई।
 
इसी अवधि के दौरान कुल स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में ‘आउट ऑफ पॉकेट’ व्यय भी 48.8 से गिरकर 48.2 हो गया। हालांकि, 2013-14 के आंकड़ों की तुलना में स्वास्थ्य पर ‘आउट ऑफ पॉकेट’ 64.2 प्रतिशत से 16 प्रतिशत कम हो गया।
 
आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने पर परिवारों द्वारा सीधे किया जाने वाला व्यय है। यह स्वास्थ्य देखभाल भुगतान के लिए परिवारों के लिए उपलब्ध वित्तीय सुरक्षा की सीमा को इंगित करता है।
 
बात जब कुल स्वास्थ्य व्यय की आती है, तो यह 2018-19 में जीडीपी के 3.2 प्रतिशत तक गिर गया जबकि उसके पिछले वर्ष में यह 3.3 प्रतिशत और 2013-14 में चार प्रतिशत था। इस संदर्भ में सबसे नवीनतम आंकड़ा 2018-19 के लिए ही उपलब्ध है।
 
कुल स्वास्थ्य व्यय सरकार और बाहरी निधियों समेत निजी स्रोतों द्वारा मौजूदा व पूंजीगत व्यय से निर्धारित होता है। सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में यह किसी देश के आर्थिक विकास के सापेक्ष स्वास्थ्य व्यय को इंगित करता है।
 
प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय, जो देश में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च को वर्तमान कीमतों पर इंगित करता है, हालांकि 2018-19 में बढ़कर 4,470 रुपए प्रति व्यक्ति हो गया, जो उससे पिछले साल 4,297 रुपये और 2013-14 में 3,638 रुपए था। स्वास्थ्य देखभाल व्यय के लिए सामाजिक सुरक्षा तंत्र 2013-14 में 6 प्रतिशत से बढ़कर 2018-2019 में 9.6 प्रतिशत हो गया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

संकट में श्रीलंका, गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहे हैं 63 लाख लोग