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Russia Ukraine War : पूर्वी यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने के प्रयास शुरू, 1 हजार से ज्‍यादा छात्र लौटे स्वदेश

हमें फॉलो करें Russia Ukraine War : पूर्वी यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने के प्रयास शुरू, 1 हजार से ज्‍यादा छात्र लौटे स्वदेश
, रविवार, 27 फ़रवरी 2022 (21:24 IST)
नई दिल्ली। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों एवं नागरिकों को निकालने के लिए शुरू किए गए ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक एक हजार से अधिक छात्र स्वदेश लौट चुके हैं और सरकार ने पूर्वी यूक्रेन में फंसे लोगों को माल्दोवा एवं रूस के रास्ते भी निकालने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने स्वयं आज रूस एवं यूक्रेन के राजदूतों से मुलाकात करके वहां फंसे भारतीय नागरिकों एवं छात्रों की सुरक्षित निकासी को लेकर बात की है और दोनों राजदूतों ने इस बारे में अपने-अपने देश की ओर से पूरे सहयोग का आश्वासन दिया है। विदेश सचिव ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस एवं अन्य संगठनों से भी मदद का अनुरोध किया है।

श्रृंगला ने कहा, हमारे लिए भारत के हर नागरिक की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम सभी को सुरक्षित निकाल लाएंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात इस प्रकार के हैं कि पोलैंड की सीमा पर लाखों लोगों की भीड़ जमा है और वहां हजारों की संख्या में भारतीय छात्रों को परेशानी हो रही है।

ऐसे में भारतीय छात्रों को सलाह दी गई है कि वे उझारोड पहुंच जाएं और वहां से हंगरी की राजधानी वुडापेस्ट के लिए हर दो घंटे पर एक ट्रेन जाती है। सात-आठ घंटे की यात्रा के बाद उन्हें वुडापेस्ट से हवाई मार्ग से स्वदेश लाया जाएगा।

यूक्रेन के पूर्वी भाग खासकर खारकीव एवं सूमी में फंसे नागरिकों के बारे में विदेश सचिव ने कहा कि भारतीय दूतावास इन इलाकों में फंसे भारतीय छात्रों एवं नागरिकों के संपर्क में है। उनके लिए भोजन-पानी की भी व्यवस्था की गई है। चूंकि ये इलाके युद्धग्रस्त हैं इसलिए भारतीय लोगों को कहीं आने-जाने की बजाए फिलहाल सुरक्षित स्थानों पर ही रहने की सलाह दी गई है।

इस बीच मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के फर्स्ट सेक्रेटरी स्तर के वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम को यूक्रेन की सीमा पर भेजा गया है। अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस से भी बात हुई है। इस बात की संभावना तलाशी जा रही है कि पूर्वी यूक्रेन में फंसे लोगों को रेडक्रॉस के एस्कॉर्ट के साथ रूस में ले आएं जहां से उन्हें स्वदेश लाया जा सके।

श्रृंगला ने कहा कि अब तक चार उड़ानों से एक हजार से अधिक छात्र स्वदेश लौट चुके हैं और करीब एक दर्जन अन्य उड़ानों का कार्यक्रम भी तय हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो-तीन दिनों से यूक्रेन से तकरीबन सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे और कुछ दिनों में उन्हें स्वदेश पहुंचा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यूक्रेन से रोमानिया, हंगरी, पोलैंड एवं स्लोवाकिया की सीमा पर आठ बिन्दुओं पर रूसी भाषा बोलने वाले भारतीय अधिकारियों की तैनाती की गई है जो स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय करके भारतीय छात्रों की मदद कर रहे हैं।

इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने माल्दोवा के विदेश मंत्री से भी टेलीफोन पर बात करके भारतीय छात्रों एवं अन्य नागरिकों को यूक्रेन से सुरक्षित निकालने में मदद का अनुरोध किया जिस पर उन्होंने सहमति दे दी है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर ज़ेलेंस्‍की से बात करके यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए मदद का अनुरोध किया था जिस पर दोनों राष्ट्रपतियों ने सहयोग का आश्वासन दिया था।

विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने भी पोलैंड, रोमानिया, हंगरी एवं स्लोवाकिया के विदेश मंत्रियों से टेलीफोन करके सहयोग मांगा था। इसके बाद से ही यूक्रेन की सड़कों पर मौजूद रूसी सैनिक भारतीय छात्रों को लेकर जाने वाली बसों एवं अन्य वाहनों को सुरक्षित रास्ता दे रहे हैं।

यूक्रेन से निकलने की कोशिश में फंसे भारतीय : एक तरफ जहां पोलैंड और हंगरी जैसे देशों ने यूक्रेन से भागने वाले यूक्रेनी नागरिकों का स्वागत किया है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन छोड़ने की कोशिशों में जुटे कुछ भारतीय नागरिकों ने पोलैंड सीमा पर कठिनाइयों का सामना करने की सूचना दी है।

पोलैंड में एक भारतीय स्वयंसेवक ने रविवार को कहा कि यूक्रेन से पोलैंड पहुंचने की कोशिश कर रहे कुछ भारतीय नागरिक मेड्यका की ओर जाने वाली सीमा पर फंस गए हैं और पोलैंड में दाखिल होने में असमर्थ हैं।

कीव स्थित भारतीय दूतावास ने रविवार को कहा कि भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से रोमानिया और हंगरी के रास्ते स्वदेश पहुंचाया जा रहा है, लेकिन इससे अनजान कुछ नागरिक पोलैंड से सटी सीमा पर पहुंच गए हैं और वहां फंस गए हैं।

रुचिर कटारिया नाम के स्वयंसेवक ने बताया कि मेड्यका को पार करने के इच्छुक भारतीयों से टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा था, रोमानिया जाओ। कटारिया ने बताया कि हालांकि वे पहले ही सीमा तक पैदल चलकर लंबी यात्रा कर चुके हैं और उनके पास सैकड़ों किलोमीटर दूर रोमानिया की सीमा तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं है।

खबरों के मुताबिक, कुछ अन्य भारतीय नागरिक, जो पोलैंड में दाखिल होने में कामयाब रहे, उन्हें पुलिस अधिकारियों और धर्मार्थ संस्थाओं द्वारा स्थापित आश्रयों में रहने के लिए जगह नहीं दी जा रही है।

कटारिया की पत्नी मैग्डेलेना बार्सिक के अनुसार, भारतीय नागरिकों से कहा जा रहा है कि यह सुविधा यूक्रेनी नागरिकों के लिए आरक्षित है। बार्सिक अपने पति के साथ यूक्रेन से भागने वाले भारतीय नागरिकों की मदद कर रही हैं।

भारतीयों का दावा, पोलैंड और स्लोवाकिया ने अपनी सीमा में दाखिल नहीं होने दिया : कई भारतीय नागरिकों ने दावा किया है कि उनके लिए ‘आगे कुआं और पीछे खाई’ जैसी स्थिति तब बन गई जब पोलैंड और स्लोवाकिया के अधिकारियों ने उन्हें यूक्रेन से अपनी सीमा में दाखिल होने की अनुमति नहीं दी जबकि रूसी हमले की वजह से वापसी का कोई विकल्प नहीं था। यह दावा करने वालों में कई केरल के रहने वाले भी हैं।

अपने-अपने महाविद्यालयों से सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर पोलैंड और स्लोवाकिया की सीमा पर पहुंचे भारतीय विद्यार्थियों को घंटों कतार में खड़ा होना पड़ा और उनमें से कई ने घटनाक्रम का वीडियो बनाकर मीडिया को भेजा ताकि भारतीय अधिकारी जान सकें कि वे किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

उनका यह संदेश केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन तक भी पहुंचा और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस समस्या के प्रति उनका ध्यान आकर्षित किया। केरल के मुख्यमंत्री ने यह मुद्दा विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई चर्चा में भी उठाया। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक उन्हें भरोसा दिया गया कि भारतीय अधिकारी सीमा पर मौजूद हैं और भारतीयों को रोके जाने की समस्या का निदान कर सकते हैं।

हालांकि स्लोवाकिया की सीमा पर घंटों से फंसे विद्यार्थियों के एक दल ने एक समाचार चैनल को किए वीडियो कॉल में बताया कि भारतीयों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी जा रही जबकि यूक्रेनी महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी जा रही है। विद्यार्थियों जिनमें से कई महिलाएं हैं, ने दावा किया कि सीमा पर तैनात अधिकारी उन्हें जाने नहीं दे रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि इस संबंध में भारतीय दूतावास से कोई जानकारी नहीं दी गई है।

इससे पहले दिन में एक छात्र ने वीडियो साझा किया था जिसमें यूक्रेनी सेना के कर्मी भारतीय छात्रों के साथ मारपीट कर रहे हैं और पोलैंड की सीमा पार करने से रोक रहे हैं। इसी प्रकार कई वीडियो वायरल हुए है जिनमें भारतीय विद्यार्थी पोलैंड की सीमा पार नहीं करने देने का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं।

इस बीच, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सांसद के सुधाकरण ने जयशंकर को पत्र लिखकर यूक्रेन के ओडेसा स्थित चिकित्सा विश्वविद्यालय के करीब 250 छात्रों के अनुरोध के प्रति ध्यान आकर्षित कराते हुए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय मिशन के हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।

सुधाकरण ने अपने पत्र में कहा, विद्यार्थियों ने सीमा तक पहुंचने के लिए बसों की व्यवस्था की है और खुशी होगी अगर आप कृपया कर इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर लेंगे। शाम को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने यूक्रेन के राजदूत से सीमा मामले को लेकर बात की है और उन्हें जानकारी मिली है कि यूक्रेन के आव्रजन अधिकारियों को इस समस्या के बारे में सूचित किया गया है और वे इस पर काम कर रहे हैं।(एजेंसियां)

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