रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। रूसी सेना को रोकने के लिए यूक्रेन ने अपनी पूरी ताक झोंक दी है। जंग का सीधा असर यूक्रेन की जनता पर पड़ रहा है। कोई देश छोड़ने की कोशिश में है तो कोई जान बचाने के लिए लगा हुआ।
जंग के बीच वहां फंसे लोगों को बॉम्ब शेल्टर्स में छिपने की सलाह दी जा रही है। इंडियन एम्बेसी ने भी यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए यह अलर्ट जारी किया है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि ये बॉम्ब शेल्टर्स होते क्या हैं और किस हद तक लोगों को बचाने में कामयाब रहते हैं?
बॉम्ब शेल्टर्स (Bomb Shelters) उन जगहों को बनाया जाता है जो काफी मजबूत माने जाते हैं। जिन जगहों पर विस्फोटकों का प्रभाव न पहुंच सके। ज्यादातर अंडरग्राउंड वाले हिस्सों को बॉम्ब शेल्टर्स बनाया जाता है।
टैंक से लेकर हवाई हमले तक ये शेल्टर्स शरणस्थली की तरह काम करते हैं। इन जगहों पर कई तरह की बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं। जैसे- पानी, खाने के पैकेट, जरूरी दवाएं, टॉर्च, बाहर के हालातों की जानकारी देने के लिए रेडियो।
कुछ जगहों पर खासतौर पर ऐसी स्थितियों से बचने के लिए विशेष बॉम्ब शेल्टर बनाए जाते हैं। वहीं, कुछ देशों में शहरों के कुछ खास हिस्से को बॉम्ब शेल्टर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ठीक वैसे ही जैसे यूक्रेन में किया जा रहा है। यूक्रेन की राजधानी कीव में लोग मेट्रो स्टेशन, सबवे, फ्लाइओवर के नीचे, अंडरग्राउंड को भी बॉम्ब शेल्टर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
कुछ जगहों पर खासतौर पर ऐसी स्थितियों से बचने के लिए विशेष बॉम्ब शेल्टर बनाए जाते हैं। वहीं, कुछ देशों में शहरों के कुछ खास हिस्से को बॉम्ब शेल्टर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ठीक वैसे ही जैसे यूक्रेन में किया जा रहा है। यूक्रेन की राजधानी कीव में लोग मेट्रो स्टेशन, सबवे, फ्लाइओवर के नीचे, अंडरग्राउंड को भी बॉम्ब शेल्टर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
यूक्रेन में बॉम्ब शेल्टर्स का पता लगाने के लिए पीड़ितों को गूगल मैप का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। गूगल मैप के जरिए वो यह पता लगा पा रहे हैं कि वो जिस लोकेशन पर हैं वहां के कितनी दूरी पर बॉम्ब शेल्टर मौजूद है।