प्रेम गीत : धूं धूं कर दहक रहा

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डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
 
तेरी याद जीने नहीं देती
दायित्वों का ख्याल मरने नहीं देता।
 
जिस्म पर निशान हलके फुल्के लगते है
अंतरमन धूं धूं कर दहक रहा है।
 
तेरा यूँ जाना क्या जरूरी है
चीजो को सम्हलने में व़क्त लगता है।
 
अगर तुझे लगता है कि देर हो गयी है तो तू गलत है
हर देर नई शुरुआत बना दूंगा।
 
प्यार की परीक्षा हमेश ही कठिन होती है
सो हमेशा से लड़ रहा हूँ।

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