Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इन्द्र को लक्ष्मीहीन होने का श्राप क्यों दिया था महर्षि दुर्वासा ने, पढ़ें पौराणिक कथा...

हमें फॉलो करें इन्द्र को लक्ष्मीहीन होने का श्राप क्यों दिया था महर्षि दुर्वासा ने, पढ़ें पौराणिक कथा...
भारतीय धर्म-संस्कृति में फूलों का महत्व बताया गया है। फूलों में दैवीय शक्तियां विद्यमान होती होती हैं, जो भक्तों की शक्ति को बढ़ा देती हैं। यह शक्ति हमें आंखों से दिखाई नहीं देती है, लेकिन फूलों से देवी-देवता का पूजन करने से हमें लक्ष्मी, धन-संपत्ति, वैभव तथा सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। इन्हीं फूलों में है एक खास वैजयंती का फूल, जो भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है तथा जिसकी माला वे हमेशा अपने गले में धारण किए रहते हैं।

 
अगर आपने कभी गलती से या अहंकार के चलते भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूलों का अपमान कर दिया तो आपको मां लक्ष्मी के कोप का शिकार होना पड़ सकता है। अत: देवी-देवताओं को चढ़ाए जाने वाले फूलों का कभी भी अपमान मत कीजिए।

इस संबंध में कही गई एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा को भी महालक्ष्मी ने दर-दर भटकने के लिए विवश कर दिया था। आइए पढ़ें-
 
एक कथा के अनुसार इन्द्र ने अंहकारवश वैजयंतीमाला का अपमान किया था, परिणामस्वरूप महालक्ष्मी उनसे रुष्ट हो गईं और उन्हें दर-दर भटकना पड़ा था।
 
देवराज इन्द्र अपने हाथी ऐरावत पर भ्रमण कर रहे थे। मार्ग में उनकी भेंट महर्षि दुर्वासा से हुई। उन्होंने इन्द्र को अपने गले से पुष्पमाला उतारकर भेंटस्वरूप दे दी। इन्द्र ने अभिमानवश उस पुष्पमाला को ऐरावत के गले में डाल दिया और ऐरावत ने उसे गले से उतारकर अपने पैरों तले रौंद डाला। अपने द्वारा दी हुई भेंट का अपमान देखकर महर्षि दुर्वासा को बहुत क्रोध आया। उन्होंने इन्द्र को लक्ष्मीहीन होने का श्राप दे दिया।

 
महर्षि दुर्वासा के श्राप के प्रभाव से लक्ष्मीहीन इन्द्र दैत्यों के राजा बलि से युद्ध में हार गए जिसके परिणास्वरूप राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। हताश और निराश हुए देवता ब्रह्माजी को साथ लेकर श्रीहरि के आश्रय में गए और उनसे अपना स्वर्गलोक वापस पाने के लिए प्रार्थना करने लगे।
 
श्रीहरि ने कहा कि आप सभी देवतागण दैत्यों से सुलह कर लें और उनका सहयोग पाकर मंदराचल को मथानी तथा वासुकि नाग को रस्सी बनाकर क्षीरसागर का मंथन करें। समुद्र मंथन से जो अमृत प्राप्त होगा उसे पिलाकर मैं आप सभी देवताओं को अजर-अमर कर दूंगा तत्पश्चात ही देवता, दैत्यों का विनाश करके पुन: स्वर्ग का आधिपत्य पा सकेंगे।

इन्द्र दैत्यों के राजा बलि के पास गए और उनके समक्ष समुद्र मंथन का प्रस्ताव रखा। अमृत के लालच में आकर दैत्य, देवताओं के साथ मिल गए। देवताओं और दैत्यों ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर मंदराचल पर्वत को उठाकर समुद्र तट पर लेकर जाने की चेष्टा की, परंतु अशक्त रहे। सभी मिलकर श्रीहरि का ध्यान करने लगे। भक्तों की पुकार पर श्रीहरि चले आए।

उन्होंने क्रीड़ा करना आरंभ किया और भारी मंदराचल पर्वत को उठाकर गरूड़ पर स्थापित किया एवं पलभर में क्षीरसागर के तट पर पहुंचा दिया। मंदराचल को मथानी एवं वासुकि नाग की रस्सी बनाकर समुद्र मंथन का शुभ कार्य आरंभ हुआ। श्रीहरि की नजर मथानी पर पड़ी, जो कि अंदर की ओर धंसती चली जा रही थी। यह देखकर श्रीहरि ने स्वयं कच्छप रूप में मंदराचल को मौलिकता प्रदान की।
 
शास्त्रों में वर्णित है कि समुद्र मंथन में सबसे पहले विष निकला जिसकी उग्र लपटों से सभी प्राणियों के प्राण संकट में पड़ गए। इसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया और उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए।
 
तत्पश्चात समुद्र मंथन से लक्ष्मी, कौस्तुभ, पारिजात, सुरा, धन्वंतरि, चन्द्रमा, पुष्पक, ऐरावत, पाञ्चजन्य, शंख, रम्भा, कामधेनु, उच्चै:श्रवा और अंत में अमृत कुंभ निकला जिसे लेकर धन्वंतरिजी आए। उनके हाथों से अमृत कलश छीनकर दैत्य भागने लगे ताकि देवताओं से पूर्व अमृतपान करके वे अमर हो जाएं। दैत्यों के बीच कलश के लिए झगड़ा शुरू हो गया और देवता हताश खड़े थे।
 
श्रीहरि अति सुंदर नारी रूप धारण करके देवता और दानवों के बीच पहुंच गए। इनके रूप पर मोहित होकर दानवों ने अमृत का कलश इन्हें सौंप दिया। मोहिनी रूपधारी भगवान ने कहा कि मैं जैसे भी विभाजन का कार्य करूं, चाहे वह उचित हो या अनुचित, तुम लोग बीच में बाधा उत्पन्न न करने का वचन दो तभी मैं इस काम को करूंगी।

 
सभी ने मोहिनीरूपी भगवान की बात मान ली। देवता और दैत्य अलग-अलग पंक्तियों में बैठ गए। मोहिनी रूप धारण करके श्रीहरि ने सारा अमृत देवताओं को पिला दिया जिससे देवता अमर हो गए और उन्हें अपना स्वर्ग वापस मिल गया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

5 नवंबर 2020 गुरुवार, आज इन राशियों को मिलेगा व्यापार में लाभ