इस वटवृक्ष को माता पार्वती ने लगाया था, तीन तरह की सिद्धि होती पूर्ण

अनिरुद्ध जोशी
हिन्दू पुराणों के अनुसार सात या आठ वट या बरगद के वृक्ष ऐसे हैं जो कि हजारों वर्षों से विद्यमान है। प्रत्येक वृक्ष को किसी न किसी देवी या देवताओं ने लगाया था। इसमें से भी पांच वट को महत्वपूर्ण माना जाता है। जिसमें से पंचवट, अक्षयवट, वंशीवट, बौधवट और सिद्धवट के बारे में कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता।
 
 
हिंदू मान्यता अनुसार इन वट वृक्षों का महत्व अधिक है। नासिक के पंचववटी क्षेत्र में सीता माता की गुफा के पास पांच प्राचीन वृक्ष है जिन्हें पंचवट के नाम से जाना जाता है। वनवानस के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता ने यहां कुछ समय बिताया था। इन वृक्षों का भी धार्मिक महत्व है। उक्त सारे वट वक्षों की रोचक कहानियाँ हैं। मुगल काल में इन वृक्षों को खतम करने के कई प्रयास हुए।
 
1. उज्जैन के भैरवगढ़ के पूर्व में शिप्रा के तट पर प्रचीन सिद्धवट का स्थान है। इसे शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है। हिंदू पुराणों में इस स्थान की महिमा का वर्णन किया गया है। 
 
2. सिद्धवट के पुजारी पंडित नागेश्वर कन्हैन्यालाल के अनुसार स्कंद पुराण अनुसार सिद्धवट को पार्वती माता द्वारा लगाया गया था, जिसकी शिव के रूप में पूजा होती है।
 
 
3. पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी को यहीं पर सेनापति नियुक्त किया गया था। यहीं उन्होंने तारकासुर का वध किया था। 
 
4. संसार में केवल चार ही पवित्र वट वृक्ष हैं। प्रयाग (इलाहाबाद) में अक्षयवट, मथुरा-वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौधवट भी कहा जाता है और यहां उज्जैन में पवित्र सिद्धवट हैं।
 
5. यहां सिद्धवट पर तीन तरह की सिद्धि होती है संतति, संपत्ति और सद्‍गति। तीनों की प्राप्ति के लिए यहां पूजन किया जाता है। 
 
6. सद्‍गति अर्थात पितरों के लिए अनुष्ठान किया जाता है। संपत्ति अर्थात लक्ष्मी कार्य के लिए वृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधा जाता है और संतति अर्थात पुत्र की प्राप्ति के लिए उल्टा सातिया (स्वस्विक) बनाया जाता है। यह वृक्ष तीनों प्रकार की सिद्धि देता है इसीलिए इसे सिद्धवट कहा जाता है।
 
7. पंडित नागेश्वर कन्हैन्यालाल ने कहा कि यहां पर नागबलि, नारायण बलि-विधान का विशेष महत्व है। संपत्ति, संतित और सद्‍गति की सिद्धि के कार्य होते हैं। यहां पर कालसर्प शांति का विशेष महत्व है, इसीलिए कालसर्प दोष की भी पूजा होती है।
 
 
8. वर्तमान में इस सिद्धवट को कर्मकांड, मोक्षकर्म, पिंडदान, कालसर्प दोष पूजा एवं अंत्येष्टि के लिए प्रमुख स्थान माना जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

धनतेरस पर इस समय करते हैं यम दीपम, पाप और नरक से मिलती है मुक्ति, नहीं रहता अकाल मृत्यु का भय

Dhanteras 2024 Date: धनतेरस पर करें नरक से बचने के अचूक उपाय

Dhanteras ki katha: धनतेरस की संपूर्ण पौराणिक कथा

Dhanteras 2024 date and time: धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और यमदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त

Dhanteras kab hai 2024: वर्ष 2024 में कब है धनतेरस का त्योहार, 29 या 30 अक्टूबर को?

सभी देखें

धर्म संसार

Dhanteras 2024: धनतेरस पूजा और खरीदारी के शुभ मुहूर्त और सबसे श्रेष्ठ योग, पूजन विधि के साथ

Dhanteras 2024: धनतेरस पर इन 4 सस्ती चीजों का दान, बना देगा आपको धनवान

29 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

29 अक्टूबर 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

धनतेरस, नरक चतुर्दशी, रूप चौदस, दिवाली, दीपावली के शुभ मुहूर्त 2024

अगला लेख
More