क्या ॐ नमः शिवाय को छोड़कर श्री शिवाय नमस्तुभ्यं को जपना उचित है?

Webdunia
आजकल संतों की नहीं, कथा वाचकों की लोग सुनने लगे हैं। कथाओं को कहने का तरीका भी बदल गया है। वर्तमान में एक कथावाचक बहुत प्रसिद्ध हो चले हैं, जिनका नाम है पंडित प्रदीप मिश्रा। वे कहते हैं कि शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र श्री शिवाय नमस्तुभ्यं है- 0इसका जप करना चाहिए। इसे वे महामृत्युंजय मंत्र से भी ज्यादा शक्तिशाली बताते हैं। क्या अब हम ॐ नमः शिवाय को जपना छोड़ दें?
 
ॐ नमः शिवाय या श्री शिवाय नमस्तुभ्यं | Om namah shivay or Shree shivay namastubhyam:
 
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का अर्थ : श्री शिव मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं। 
 
ॐ नमः शिवाय का अर्थ : ओंकार या ब्रह्म स्वरूप भगवान शिव को नमस्कार।
 
 
कहते हैं कि ईश्वर के सभी स्वरूपों की उपासना के मंत्र ओम से ही प्रारंभ होते हैं। ॐ या ओम के बगैर मंत्र अधूरा माना जाता है। नमः शिवाय ही पंचाक्षरी मंत्र है जिसके आगे ओम लगाने से उसकी पूर्णता होती है और शिवजी के साथ ही निराकार ब्रह्म (ईश्वर) भी जुड़ जाता है। शिवजी का एक स्वरूप शिवलिंग के रूप में निराकार भी है। अत: नमः शिवाय इस पंचाक्षरी मन्त्र में प्रणव यानी ॐ लगाकर इसका जप करना ही उचित है।
तस्य वाचकः प्रणवः।।- तैत्तिरीयोपनिषद् १.२७॥ अर्थात उसका वाचक (नाम, इंगित करने वाला) प्रणव है। अस्य ओम नम: शिवाय पञ्चाक्षर मन्त्रस्य वामदेव ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्री सदाशिवो देवता। अर्थात इस शिव पंचाक्षरमन्त्र के वामदेव ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, सदाशिव देवता हैं)
 
 
जहां तक सवाल पंचाक्षरी मंत्र का है तो वह 'नम: शिवाय' ही है जिसमें ॐ लगाकर उसका जप किए जाने का ही उचित तरीका है। श्री शिवाय नमस्तुभ्यं पंचाक्षरी मंत्र नहीं है। हालांकि श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप भी किया जा सकता है क्योंकि भगवान को किसी भी तरीके या रूप में भजें वह आपके ही हैं। उल्लेखनीय है कि 'श्री' शब्द माता लक्ष्मी का नाम है। शिवजी के नाम के आगे इसका उपयोग नहीं होता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

बुध ग्रह का तुला राशि में उदय, 4 राशियों के लिए रहेगा बेहद शुभ समय

करवा चौथ पर राशि के अनुसार पहनें परिधान

Diwali muhurat 2024 : दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और सामग्री सहित पूजा विधि

सभी देखें

धर्म संसार

23 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 अक्टूबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Diwali 2024 : इस दिवाली तेल नहीं पानी के दीयों से करें घर को रोशन

Rama ekadashi date time: रमा एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व और कथा

Radhakunda snan 2024: कार्तिक कृष्ण अष्टमी पर राधा कुंड स्नान का क्या है महत्व?

अगला लेख
More