Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
  • व्रत/दिवस-झलकारी बाई ज., दुर्गादास राठौर दि.
webdunia
Advertiesment

रुद्राक्ष और प्रदीप मिश्रा का क्या है राज?

हमें फॉलो करें रुद्राक्ष और प्रदीप मिश्रा का क्या है राज?
, शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023 (11:34 IST)
पंडित प्रदीप मिश्रा एक कथावाचक हैं। वे शिवपुराण पर आधारित कथाएं सुनाते हैं और लोगों को छोटे-छोटे उपाय बताते हैं। उनकी प्रसिद्धि संपूर्ण हिन्दी प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात में भी है। वे जहां भी कथा पढ़ने जाते हैं वहां पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। पंडित प्रदीप मिश्रा मध्यप्रदेश के सिहोर के रहने वाले हैं। 18 तारीख को महाशिवरात्रि आने वाली है इससे पूर्व ही सिहोर के कुबेरेश्वर धाम में लाखों भक्तों की भीड़ जुटने लगी है।
 
मध्यप्रदेश के सीहोर में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबरेश्वर धाम में इस समय रुद्राक्ष महोत्सव चल रहा है जोकि 22 फरवरी तक चलेगा। यहां पर लोगों को रुद्राक्ष वितरण किए जा रहे हैं जिसके चलते महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार,‎ झारखंड और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कुबेरेश्वरधाम आ रहे हैं।
 
यहां पर स्थित 40 काउंटर से 7 दिन तक 24 घंटे लगातार श्रद्धालुओं को रुद्राक्ष बांटे जा रहे हैं। इसी के चलते परसों लाखों लोगों के कुबेरेश्वर धाम पहुंचने के कारण इंदौर भोपाल रोड़ पर दिनभर चक्काजाम रहा।
webdunia
रुद्राक्ष की विशेषता : बताया जा रहा है कि जब कुबेरेश्वर धाम के रुद्राक्ष की भोपाल विज्ञान केंद्र और इंदौर विज्ञान केंद्र के द्वारा जांच की गई तो पता चला कि इन रुद्राक्षों में गंडकी नदी का पानी मिला हुआ है। ऐसी मान्यता है कि इन रुद्राक्ष को पानी में डालकर रखा जाए और उस पानी को बीमार लोगों को पिला दिया जाए तो रोगी की बीमारियां दूर हो जाती हैं। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं करता है। 
 
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि अनुमान से अधिक भीड़ होने के कारण और भगदड़ मचने के कारण रुद्राक्ष बांटना बंद कर दिया गया है। सीहोर शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख है। प्रशासन के मुताबिक, यहां अनुमानित रूप से करीब 20 लाख लोग पहुंच चुके हैं। अधिक भीड़ के कारण व्यवस्थाओं को संभालना भी मुश्‍किल हो रहा है।
 
उल्लेखनीय है कि रुद्राक्ष नेपाल में ही पाए जाते हैं और यह करीब 33 प्रकार के होते हैं। नेपाल में ही गंडकी नदी बहती है जहां पर शालिग्राम भी पाए जाते हैं। पुराणों में बताया गया है कि रुद्राक्ष भगवान शिव ने ही उत्पन्न किए थे। इसीलिए इसका खास महत्व माना जाता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मंगलग्रह मंदिर में महारुद्र व महाशिव अभिषेक समारोह का आयोजन