Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

रहस्य और रोमांच से भरा मिर्जापुर का चुनारगढ़ किला

हमें फॉलो करें रहस्य और रोमांच से भरा मिर्जापुर का चुनारगढ़ किला

WD Feature Desk

, सोमवार, 24 जून 2024 (15:21 IST)
History of Chunargarh Fort: उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के चुनार में स्थित चुनारगढ़ किले को रहस्य, रोमांच, विस्मय और जादू की कहानियों का किला माना जाता है। इस किले से कई कहानी और किस्से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि लोग दूर दूर से इस किले को देखने के लिए आते हैं। आओ इस किले के रहस्य के बारे में जानते हैं।
 
1. वाराणसी जाने के लिए गंगा के लिए मार्ग प्रशस्थ करने वाले विंध्यपर्वत पर चरण आकार वाले इस किले का प्राचीन नाम चरणाद्रिगढ़ रहा है। गंगा पर पुस्तक लिखने वाले विद्वानों ने अपनी पुस्तकों में इसका उल्लेख किया है। किले की ऐतिहासिकता का विवरण अबुलफजल के चर्चित आईने अकबरी में भी मिलता है। फजल ने इसका नाम चन्नार दिया है। लोकगाथाओं में पत्थरगढ़ और नैनागढ़ नाम से भी इसे जाना जाता है। 
 
2. इस किले से चन्द्रप्रकाश द्विवेदी के लोकप्रिय धारावाहिक चन्द्रकांता की कहानी भी जुड़ी हुई है। उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री की तिलिस्म स्थली का यह स्थल है। 
 
3. इस किले में आदि-विक्रमादित्य का बनवाया हुआ भतृहरि मंदिर है जिसमें उनकी समाधि है। कुछ इतिहासकार 56 ईपू में राजा विक्रमादित्य द्वारा इसे बनाया गया मानते हैं। किले में सोनवा मण्डप, सूर्य धूपघड़ी और एक विशाल कुंआ मौजूद है। हालांकि तमाम इतिहासकार इसे मान्यता नहीं देते हैं पर मिर्जापुर गजेटियर में इसका उल्लेख किया गया है।
webdunia
4. मिर्जापुर गजेटियर में संदेश नामक राज का सम्बन्ध भी इस किले से मिलता। माना जाता है कि महोबा के वीर बांकुरे आल्हा का विवाह इसी किले में सोनवा के साथ हुआ था। सोनवा मण्डप इसी कारण बना था।
 
5. 18 अप्रैल सन 1924 को मिर्जापुर के तत्कालीन कलक्टर द्वारा दुर्ग पर लगाए एक शिलापत्र पर उत्कीर्ण विवरण के अनुसार उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के बाद इस किले पर 1141 से 1191 ई. तक पृथ्वीराज चौहान का कब्जा था।
 
6. 1198 में शहाबुद्दीन गौरी, 1333 से स्वामीराज, 1445 से जौनपुर के मुहम्मदशाह शर्की, 1512 से सिकन्दर शाह लोदी, 1529 से बाबर, 1530 से शेरशाहसूरी और 1536 से हुमायूं आदि शासकों का अधिपत्य रहा है।
webdunia
7. शेरशाह सूरी के पश्चात 1545 से 1552 तक इस्लामशाह, 1575 से अकबर के सिपहसालार मिर्जामुकी और 1750 से मुगलों के पंचहजारी मंसूर अली खां का शासन इस किले पर था। तत्पश्चात 1765 ई. में किला कुछ समय के लिए अवध के नवाब शुजाउदौला के कब्जे में आने के बाद शीघ्र ही ब्रिटिश आधिपत्य में चला गया। शिलापट्ट पर 1781 ई में वाटेन हेस्टिंग्स के नाम का उल्लेख अंकित है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस किले पर उत्तर प्रदेश सरकार का कब्जा है। 
 
8. मुगल वंश के शासन के बाद 1772 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मेजर मुनरो के तहत चुनार किले पर कब्जा कर लिया। 1791 में चुनार का किला अवैध यूरोपीय बटालियन का केंद्र बन गया। बाद में, भारत की आजादी तक, अंग्रेजों ने किले को हथियारों को सुरक्षित रखने के लिए अपने गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया।
 
फोटो: गिरीश श्रीवास्तव।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा कब है, जानें पूजा का खास मुहूर्त