दो बच्चों के हाथ में तिरंगा और लब पर देशभक्ति। ये दोनों बच्चे जेल में पैदा हुए हैं और अपनी मां या पिता के अपराध की वजह से जेल के अंदर हैं। इन बच्चों के लिए आजादी के मायने अलग हैं। इनके साथ शूट हुआ राष्ट्रगान बुधवार को तिनका-तिनका फाउंडेशन ने रिलीज किया। करीब साढ़े 3 मिनट के इस वीडियो का मकसद लोगों को जेल में बंद बच्चों के प्रति संवेदनशील बनाते हुए मानवाधिकार की अलख जगाना है। इन बच्चों की निजता को ध्यान में रखते हुए उनके चेहरे वीडियो में नहीं दिखाए गए हैं।
इस वीडियो को उन 1,800 बच्चों को समर्पित किया गया है, जो देश की जेलों में बंद हैं और 6 साल की उम्र तक जेल में बंद अपनी मां या पिता के साथ रह सकते हैं। देश की जेलों के कुछ बच्चे तिनका-तिनका की संस्थापक वर्तिका नंदा के साथ एक बड़ी परियोजना का हिस्सा बने हैं और यह उसी की एक कड़ी है। इस वीडियो को विदेश मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश्वर मुले ने जारी किया और देश की जेलों के बच्चों के लिए एक बड़ी पहल करार किया।
तिनका-तिनका जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नंदा की जेलों पर अपनी तरह की पहली श्रृंखला है। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 'स्त्री शक्ति पुरस्कार' से सम्मानित वर्तिका की किताब और गाना 'तिनका-तिनका तिहाड़' और 'तिनका-तिनका डासना' ने कई कीर्तिमान बनाए। उनकी किताब 'तिनका-तिनका तिहाड़' लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हैं। वे हर साल बंदियों को 'तिनका-तिनका इंडिया अवॉर्ड्स' और 'तिनका-तिनका बंदिनी अवॉर्ड्स' भी देती हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग में अध्यापक हैं और अपराध बीट की देश की प्रमुख पत्रकारों में रही हैं। (भाषा)